जाने स्वस्थ शरीर में यूरिक एसिड का स्तर, इसके बढ़ने के कारण और नियंत्रित करने के उपाय

यूरिक एसिड शरीर में प्यूरीन नामक रसायन के टूटने से बनता है। यह रक्त में घुल जाता है और किडनी द्वारा मूत्र में उत्सर्जित होता है।उच्च यूरिक एसिड का स्तर, जिसे हाइपरयूरिसीमिया कहा जाता है,गाउट का कारण बन सकता है, जो जोड़ों में दर्दनाक सूजन का एक प्रकार है।हाइपरयूरिसीमिया के अन्य स्वास्थ्य जोखिमों में हृदय रोग, स्ट्रोक और गुर्दे की बीमारी शामिल हैं।आज हम आपको बताएँगे स्वस्थ शरीर में यूरिक एसिड का स्तर।

पुरुषों: 3.4 से 7 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर (mg/dL) महिलाएं: 2.4 से 6 mg/dL

ध्यान दें:

  • यह सामान्य सीमा है।
  • व्यक्तिगत भिन्नताएं हो सकती हैं।
  • अपने डॉक्टर से बात करें अपने लिए सही स्तर जानने के लिए।

यूरिक एसिड बढ़ने के कारण:

  • पुरिन युक्त भोजन का सेवन: मांस, मछली, अंग मांस, शंख, शराब, दालें, मशरूम आदि।
  • मधुमेह: मधुमेह वाले लोगों में यूरिक एसिड का स्तर बढ़ने का खतरा अधिक होता है।
  • मोटापा: मोटापा यूरिक एसिड के स्तर को बढ़ाने का एक कारक हो सकता है।
  • उच्च रक्तचाप: उच्च रक्तचाप वाले लोगों में यूरिक एसिड का स्तर बढ़ने का खतरा अधिक होता है।
  • गुर्दे की बीमारी: गुर्दे की बीमारी वाले लोग यूरिक एसिड को ठीक से बाहर नहीं निकाल पाते हैं, जिससे इसका स्तर बढ़ जाता है।
  • आनुवंशिकी: यूरिक एसिड का स्तर आनुवंशिकी से भी प्रभावित हो सकता है।

यूरिक एसिड बढ़ने के लक्षण:

  • गाउट: जोड़ों में तीव्र दर्द, लालिमा, सूजन और गर्मी।
  • यूरिक एसिड किडनी स्टोन: गुर्दे में पथरी बनना।
  • गुर्दे की बीमारी: गंभीर मामलों में, यूरिक एसिड के उच्च स्तर से गुर्दे की बीमारी हो सकती है।

यूरिक एसिड को कैसे नियंत्रित करें:

  • पुरिन युक्त भोजन कम खाएं: मांस, मछली, अंग मांस, शंख, शराब, दालें, मशरूम आदि का सेवन कम करें।
  • स्वस्थ वजन बनाए रखें: यदि आप अधिक वजन या मोटे हैं, तो वजन कम करने से यूरिक एसिड का स्तर कम हो सकता है।
  • नियमित व्यायाम करें: नियमित रूप से व्यायाम करने से यूरिक एसिड का स्तर कम करने में मदद मिल सकती है।
  • पानी पीएं: प्रचुर मात्रा में पानी पीने से यूरिक एसिड शरीर से बाहर निकलने में मदद मिलती है।
  • दवाएं: कुछ मामलों में, डॉक्टर यूरिक एसिड को कम करने के लिए दवाएं प्रदान कर सकते हैं।

यह सलाह दी जाती है कि आप अपने यूरिक एसिड के स्तर की नियमित रूप से जांच करवाएं, खासकर यदि आपको गाउट, मधुमेह, उच्च रक्तचाप या गुर्दे की बीमारी का खतरा है।

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