वात दोष “वायु” और “आकाश” इन दो तत्वों से मिलकर बना है। वात या वायु दोष को तीनों दोषों में सबसे अधिक महत्वपूर्ण माना गया है। हमारे शरीर में गति से जुड़ी कोई भी प्रक्रिया वात के कारण ही संभव है। चरक संहिता में वायु को ही पाचक अग्नि बढ़ाने वाला, सभी इन्द्रियों का प्रेरक और उत्साह का केंद्र माना गया है। वात का मुख्य स्थान पेट और आंत में है।आज हम आपको बताएंगे शरीर में वात संतुलित करने के उपाय।
वात में योगवाहिता या जोड़ने का एक ख़ास गुण होता है। इसका मतलब है कि यह अन्य दोषों के साथ मिलकर उनके गुणों को भी धारण कर लेता है। जैसे कि जब यह पित्त दोष के साथ मिलता है तो इसमें दाह, गर्मी वाले गुण आ जाते हैं और जब कफ के साथ मिलता है तो इसमें शीतलता और गीलेपन जैसे गुण आ जाते हैं।
वात दोष को संतुलित करने के लिए आयुर्वेदिक उपायों और डाइट प्लान की मदद से शरीर को आराम मिल सकता है। निम्नलिखित आयुर्वेदिक उपाय और डाइट प्लान को आजमाकर आपको आराम मिल सकता है:
आयुर्वेदिक उपाय:
– अश्वगंधा (Ashwagandha): यह जड़ी बूटी वात दोष को शांत करने में मदद कर सकती है। इसे पाउडर के रूप में लें या अश्वगंधा चूर्ण के रूप में उपलब्ध हो सकते हैं।
– त्रिफला (Triphala): यह आयुर्वेदिक औषधि वात, पित्त, और कफ को संतुलित करने में मदद कर सकती है।
– पांचकोला क्वाथ (Panchakola Kwath): यह काढ़ा वात दोष को शांत करने में सहायक हो सकता है।
डाइट प्लान:
– वात शांतिकारक आहार: वात शांतिकारक आहार में गर्म मसालों, तेल, और पदार्थों का सेवन करें। यह मूलत: हल्दी, जीरा, गर्म दूध, गुड़, घी, और गर्म आदि शामिल करता है।
– दिनचर्या: अनियमित दिनचर्या वात दोष को बढ़ा सकती है। नियमित और समय पर सोना, उठना, और खाना खाना वात दोष को संतुलित रखने में मदद कर सकता है।
– प्राकृतिक भोजन: प्राकृतिक भोजन जैसे कि खीरा, गाजर, मूली, गोभी, मक्खन, और मक्के का आटा वात दोष को संतुलित करने में मदद कर सकता है।
यहां याद रखें कि आपको अपने आहार और आयुर्वेदिक उपायों को अपने डॉक्टर या आयुर्वेदिक चिकित्सक के साथ समायोजित करना चाहिए, खासकर अगर आपका कोई भी मेडिकल स्थिति है।