किशन रेड्डी का बड़ा हमला: BRS और कांग्रेस एक ही सिक्के के दो पहलू

बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी ने बीआरएस और कांग्रेस पर बड़ा हमला बोला है। एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए उन्होंने दावा किया कि बीआरएस और कांग्रेस की राजनीतिक नजदीकियां अब किसी से छिपी नहीं हैं। रेड्डी ने आरोप लगाया कि केटीआर कांग्रेस के साथ गठबंधन के संकेत दे रहे हैं, जिससे यह साफ है कि दोनों पार्टियां सत्ता के लिए एकजुट हो रही हैं।

भ्रष्टाचार और वंशवाद की राजनीति का गठबंधन

किशन रेड्डी ने कहा कि बीआरएस और कांग्रेस भ्रष्टाचार, तुष्टिकरण और वंशवाद की राजनीति में लिप्त हैं। उन्होंने दावा किया कि बीजेपी पहले से इस संभावित गठबंधन की आशंका जता रही थी और अब यह पूरी तरह से उजागर हो चुका है।

इतिहास से जुड़े कांग्रेस-BRS के रिश्ते

रेड्डी ने याद दिलाया कि बीआरएस प्रमुख के. चंद्रशेखर राव ने अपनी राजनीतिक यात्रा कांग्रेस के साथ मिलकर शुरू की थी।

2004 के चुनावों में बीआरएस ने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया और यूपीए सरकार में मंत्री पद भी हासिल किया।

2014 में तेलंगाना के गठन के समय केसीआर ने बीआरएस को कांग्रेस में विलय करने की बात तक कही थी।

रेड्डी का कहना है कि अब जब तेलंगाना में बीआरएस का भविष्य संकट में है, वे एक बार फिर कांग्रेस का सहारा ले रहे हैं।

AIMIM बना है कांग्रेस-BRS के गठबंधन का सूत्रधार

किशन रेड्डी ने आरोप लगाया कि AIMIM (ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन) कांग्रेस और बीआरएस के बीच गठबंधन को मजबूत करने में अहम भूमिका निभा रहा है। उन्होंने कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) के विरोध का निर्णय भी इसी राजनीतिक समझौते का हिस्सा है।

रेड्डी ने यह भी आरोप लगाया कि राष्ट्रपति चुनाव के दौरान बीआरएस ने बीजेपी उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करने के बजाय कांग्रेस के उम्मीदवार को समर्थन दिया, जिससे उनकी वैचारिक समानता साफ जाहिर होती है।

चुनावों में छुपा हुआ गठबंधन

किशन रेड्डी के अनुसार, 2023 के तेलंगाना विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनावों में भी कांग्रेस और बीआरएस के बीच परोक्ष रूप से गठबंधन देखने को मिला। उन्होंने कहा कि केटीआर पहले ही यह संकेत दे चुके थे कि उनकी पार्टी एक बड़े गठबंधन का हिस्सा होगी, जिसका मकसद सिर्फ बीजेपी को हराना है, न कि जनता के विकास के लिए काम करना।

विधायकों की अदला-बदली: सत्ता की राजनीति का खेल

रेड्डी ने कहा कि तेलंगाना में बीआरएस और कांग्रेस के विधायकों का एक-दूसरे की पार्टियों में शामिल होना कोई नई बात नहीं है। पहले कांग्रेस के विधायक बिना इस्तीफा दिए बीआरएस में शामिल होते थे और अब बीआरएस के विधायक कांग्रेस में जा रहे हैं। इससे यह साफ है कि दोनों पार्टियों की विचारधारा में कोई बड़ा अंतर नहीं है और उनका मकसद सिर्फ सत्ता में बने रहना है।

बीजेपी का निष्कर्ष: सत्ता की भूख से जुड़ी राजनीति

किशन रेड्डी ने अपनी पोस्ट के अंत में कहा कि बीजेपी पहले से ही कांग्रेस और बीआरएस के इस गुप्त गठबंधन के बारे में लोगों को जागरूक करती रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि जब दिल्ली में आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार को बचाने के लिए वोटिंग हुई, तब भी बीआरएस ने कांग्रेस और आप के पक्ष में मतदान किया था।

रेड्डी ने कहा कि अब यह साफ हो चुका है कि कांग्रेस और बीआरएस एक ही सिक्के के दो पहलू हैं, और उनकी राजनीति केवल भ्रष्टाचार, तुष्टिकरण और सत्ता की भूख तक सीमित है।

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