खरगे ने उठाई मांग: जाति जनगणना को मिले संवैधानिक सुरक्षा

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने जाति जनगणना के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक और पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने सभी राजनीतिक दलों के साथ जल्द चर्चा करने की अपील की है। खरगे ने याद दिलाया कि उन्होंने 16 अप्रैल 2023 को भी इस विषय पर पत्र लिखा था, लेकिन उसे कोई जवाब नहीं मिला। उन्होंने कहा कि पहले बीजेपी और उसके नेता इस मांग का विरोध कर रहे थे, लेकिन अब आप खुद इसे सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण के हित में मान रहे हैं।

खरगे ने क्या कहा?
खरगे ने पीएम मोदी पर सवाल उठाते हुए कहा कि आपने बिना कोई डिटेल दिए यह घोषणा कर दी है कि अगली जनगणना में जाति को अलग श्रेणी के रूप में शामिल किया जाएगा। यह जनगणना असल में 2021 में होनी थी। उन्होंने कहा कि जाति की जानकारी सिर्फ गिनती तक सीमित न रहे बल्कि इसे सामाजिक-आर्थिक नीतियों को मजबूत करने के मकसद से इस्तेमाल किया जाए।

तेलंगाना मॉडल को अपनाने की सलाह
खरगे ने सुझाव दिया कि केंद्र सरकार को हाल ही में हुए तेलंगाना राज्य सर्वेक्षण के मॉडल को अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि उस सर्वेक्षण में मजबूत कार्यप्रणाली और व्यापक सवालों के सेट के जरिए बेहतर डेटा इकट्ठा किया गया। उन्होंने यह भी कहा कि इस बार जनगणना का डेटा पूरी तरह सार्वजनिक होना चाहिए ताकि हर जाति और समुदाय को सशक्त बनाने के लिए मजबूत आधार मिल सके।

कानूनी सुरक्षा पर जोर
खरगे ने कहा कि अभी सिर्फ तमिलनाडु का आरक्षण कानून संविधान की नौवीं अनुसूची में सुरक्षित है। बाकी राज्यों के कानूनों को भी इसमें शामिल किया जाना चाहिए ताकि भविष्य में कानूनी चुनौतियों से बचा जा सके। उन्होंने चेतावनी दी कि बिना संवैधानिक सुरक्षा के जातिगत जनगणना को लागू करना आसान नहीं होगा।

खरगे ने यह भी याद दिलाया कि संविधान में अनुच्छेद 15(6) बिना पर्याप्त डेटा के पेश किया गया था, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने भी सवाल उठाए थे। बाद में इसे सुप्रीम कोर्ट ने मंजूरी दी। उन्होंने कहा कि बिहार मॉडल भी इस दिशा में मिसाल पेश करता है।

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