फिल्म इंडस्ट्री के जाने-माने निर्देशक सुभाष घई की सुपरहिट फिल्म ‘खलनायक’ 6 अगस्त 1993 को रिलीज़ हुई थी। उस वक्त संजय दत्त 34 साल के थे, और अब जब इसका दूसरा पार्ट बनने जा रहा है तो वे 66 साल के हो चुके होंगे। वहीं माधुरी दीक्षित, जो उस वक्त 26 साल की थीं, अब 58 की हो गई हैं।
खलनायक फिल्म ब्लॉकबस्टर थी और साथ ही विवादित भी, खासकर ईला अरुण के गाने के बोल को लेकर। सुभाष घई ने अब इसके सीक्वल की घोषणा कर कई यादें ताजा कर दी हैं। इस फिल्म ने संजय दत्त के करियर को एक नई उड़ान दी थी। इससे पहले दोनों सितारों को हम ‘साजन’ और ‘थानेदार’ जैसी हिट फिल्मों में भी देख चुके हैं।
क्या होगा खलनायक 2 में?
अभी तक यह साफ नहीं है कि सीक्वल में संजय दत्त और माधुरी दीक्षित की भूमिका कैसी होगी या नया खलनायक कौन होगा। लेकिन इतना तय है कि इन दोनों सितारों की मौजूदगी दर्शकों को जरूर आकर्षित करेगी। लंबे समय बाद आई किसी भी हिट फिल्म के दूसरे भाग में दर्शक पहले भाग के कलाकारों को देखने के लिए ही उमड़ते हैं।
खलनायक 2 का कंटेंट होगा सबसे बड़ा सवाल
‘गदर एक प्रेम कथा 2’ जैसी फिल्मों से उदाहरण मिलता है कि पहले भाग की लोकप्रियता के चलते दूसरा भाग भी दर्शकों को आकर्षित करता है, चाहे कंटेंट थोड़ा औसत ही क्यों न हो। खलनायक 2 का कंटेंट कैसा होगा, वह कितना दमदार होगा, ये तो बाद में पता चलेगा। लगभग 32 साल बाद दर्शकों की नई पीढ़ी और थिएटर का माहौल भी बदल चुका है, इसलिए देखना होगा फिल्म नए दौर के हिसाब से कितनी अलग और प्रभावशाली होगी।
संजय दत्त: नायक से खलनायक की यात्रा
संजय दत्त की शुरुआती फिल्मों का दौर खास नहीं था। ‘खलनायक’ ने उनकी छवि को पूरी तरह बदल दिया। फिल्म में उनका गैंगस्टर रोल, उनकी झकझोर देने वाली अदाकारी, गाने और उस समय के सामाजिक हालात के कारण यह फिल्म काफी चर्चा में रही।
सुभाष घई ने संजय की पर्सनैलिटी और बॉडी लैंग्वेज को इस्तेमाल कर बॉलीवुड के ‘एंग्री यंग मैन’ का मिजाज नया आयाम दिया। अमिताभ बच्चन के समय नायक धीरे-धीरे एंटी-हीरो में बदल रहे थे, लेकिन ‘खलनायक’ में नायक ने खुद को खुले तौर पर खलनायक कहा और पूरी शिद्दत से यह किरदार निभाया।
90 के दशक में खलनायक की अलग पहचान
पहले के दौर में खलनायक फिल्मों में या तो नायक से हार जाता था या पुलिस की गोली से मारा जाता था, लेकिन 90 के दशक की फिल्मों में खलनायक कानून के सामने हारते हैं। यह फिल्मों में अपराध की जटिलता और उसके परिणाम को दिखाने की कोशिश थी।
संजय दत्त की मुश्किलों का दौर
‘खलनायक’ के रिलीज से पहले ही संजय दत्त की जिंदगी में कई कठिन घटनाएं हो चुकी थीं। 1993 में मुंबई बम धमाके के आरोप में वे गिरफ्तार हुए थे। टाडा केस के चलते जेल यात्रा भी हुई। बावजूद इसके, ‘खलनायक’ का उनका गैंगस्टर रोल दर्शकों को भा गया।
उनकी जिंदगी में आए उतार-चढ़ाव ने उनके करियर को प्रभावित किया, लेकिन साथ ही उन्हें मजबूत भी बनाया। साल 2016 में जेल से रिहा होने के बाद उन्होंने नए सिरे से अपनी जिंदगी और करियर को संवारना शुरू किया।
संजय दत्त के शुरुआती संघर्ष
संजय दत्त ने 1981 में ‘रॉकी’ से डेब्यू किया था, जो फ्लॉप रही। वहीं, उसी साल ‘लव स्टोरी’ सुपरहिट हुई। इसके बाद भी संजय की कई फिल्में लगातार फ्लॉप रहीं। फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी और धीरे-धीरे अपने लिए जगह बनाई।
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