कैश कांड में फंसे जस्टिस वर्मा! बचाव में पेश किए 4 तर्क

दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा कैश कांड को लेकर विवादों में हैं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित तीन सदस्यीय समिति जल्द ही उनसे पूछताछ कर सकती है। सूत्रों के अनुसार, जस्टिस वर्मा अपने बचाव में चार प्रमुख तर्क पेश कर सकते हैं।

क्या है जस्टिस वर्मा का बचाव?
1. घटना के समय वो दिल्ली में नहीं थे
जस्टिस वर्मा का कहना है कि घटना के दिन (14 मार्च) वे दिल्ली में मौजूद नहीं थे।

वे मध्य प्रदेश में थे और 15 मार्च की शाम को ही दिल्ली लौटे।

ऐसे में उनका इस घटना से कोई लेना-देना नहीं हो सकता।

2. स्टाफ को जली हुई नकदी की कोई जानकारी नहीं
जस्टिस वर्मा के अनुसार,

वीडियो में जिस तरह से जली हुई नकदी दिखाई गई, ऐसी कोई जानकारी उनके स्टाफ ने उन्हें नहीं दी।

उनके घर पर मौजूद स्टाफ ने ऐसी कोई संदिग्ध घटना नहीं देखी।

उन्हें इस घटना के बारे में तब पता चला जब दिल्ली हाई कोर्ट प्रशासन ने उन्हें इसकी सूचना दी।

3. नकदी से कोई लेना-देना नहीं, साजिश का शक
जस्टिस वर्मा का कहना है कि यदि उनके आवास पर कोई नकदी जलाई भी गई, तो उसका उनके या उनके परिवार से कोई संबंध नहीं है।

वे इस पूरे प्रकरण को एक गहरी साजिश मानते हैं।

उनके अनुसार, आउटहाउस का उपयोग सुरक्षा कर्मी और स्टाफ करते थे, न कि उनके परिवार के लोग।

पहले भी दिया था यही बयान
दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की जांच के दौरान जस्टिस वर्मा ने यही जवाब दिया था।

अब, तीन सदस्यीय समिति के गठन के बाद, उन्होंने आपराधिक मामलों के विशेषज्ञ वकीलों से सलाह ली है।

इस पूरे मामले में उनका कानूनी बचाव और मजबूत किया जा रहा है।

ट्रांसफर के विरोध में बार निकायों की मांग
जस्टिस वर्मा के इलाहाबाद हाई कोर्ट में प्रस्तावित ट्रांसफर को लेकर वकीलों का विरोध बढ़ता जा रहा है।

बार निकायों के प्रतिनिधियों ने CJI संजीव खन्ना से मुलाकात की और ट्रांसफर रोकने की मांग की।

इलाहाबाद, गुजरात, केरल, जबलपुर, कर्नाटक और लखनऊ हाई कोर्ट के बार निकायों ने CJI को ज्ञापन सौंपकर इस मुद्दे पर चर्चा के लिए समय मांगा।

एफआईआर दर्ज न होने पर भी उठे सवाल
बार निकायों ने जस्टिस वर्मा के आवास पर सबूतों के साथ छेड़छाड़ का मुद्दा उठाया।

14 मार्च को उनके आवास पर आग लगने की घटना के दौरान जली हुई नकदी की गड्डियां मिली थीं।

बार एसोसिएशन का सवाल है कि अब तक इस मामले में एफआईआर क्यों दर्ज नहीं हुई?

उन्होंने इस घटना की विस्तृत और निष्पक्ष जांच की मांग की है।

क्या सुप्रीम कोर्ट की समिति देगी राहत?
अब सबकी नजरें सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित तीन सदस्यीय समिति की जांच पर टिकी हैं।

क्या जस्टिस वर्मा के ये चार तर्क उन्हें इस विवाद से बाहर निकाल पाएंगे?

या फिर कैश कांड में कोई नया खुलासा होगा?

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