इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू रविवार को अमेरिका पहुंच गए हैं। हंगरी दौरे के तुरंत बाद उन्होंने यह यात्रा की, जिसका केंद्र बिंदु रहेगा—गाजा युद्ध, बंधकों की रिहाई और व्यापार टैरिफ पर छूट।
नेतन्याहू की इस यात्रा में उनका फोकस अमेरिकी प्रशासन से इजराइली सामानों पर लगे 17% टैरिफ को कम करवाने पर है। सोमवार को उन्होंने वॉशिंगटन में अमेरिका के फाइनेंस सेक्रेटरी हॉवर्ड लुटनिक से मुलाकात की। माना जा रहा है कि अगले दो दिनों में वह व्हाइट हाउस के कई शीर्ष अधिकारियों से मुलाकात करेंगे।
ट्रंप से मिलेंगे, टैरिफ राहत की उम्मीद
नेतन्याहू को उम्मीद है कि इस हफ्ते अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से होने वाली बैठक में वह टैरिफ के मुद्दे पर राहत पा सकेंगे।
अमेरिका इजराइल का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, ऐसे में टैरिफ लागू होना इजराइल के लिए बड़ा झटका है। नेतन्याहू इस मुद्दे पर तुरंत एक्शन के मूड में हैं।
गाजा युद्ध को ‘विजय’ के रूप में पेश कर सकते हैं नेतन्याहू
सूत्रों की मानें तो नेतन्याहू गाजा में युद्धविराम तोड़ने और दोबारा हमले शुरू करने को एक “रणनीतिक जीत” के तौर पर पेश कर सकते हैं। इन हमलों में कई हमास अधिकारियों के मारे जाने का दावा किया गया है। इसके साथ ही गाजा में फंसे बंधकों की रिहाई को लेकर बातचीत भी इस दौरे में अहम रहने वाली है।
‘विंग ऑफ़ ज़ायन’ का 400 किलोमीटर लंबा चक्कर
हारेत्ज़ अखबार के मुताबिक, इजराइल के सरकारी विमान ‘विंग ऑफ़ ज़ायन’ ने अमेरिका जाने के लिए करीब 400 किलोमीटर लंबा रास्ता चुना।
वजह ये थी कि नेतन्याहू नहीं चाहते थे कि उनका विमान उन देशों के ऊपर से गुजरे, जो ICC (अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय) द्वारा उनके खिलाफ जारी गिरफ्तारी वारंट को लागू कर सकते हैं।
इजराइल को डर है कि आयरलैंड, आइसलैंड और नीदरलैंड जैसे देश गाजा युद्ध से जुड़े अपराधों पर कार्रवाई कर सकते हैं। इसलिए विमान ने क्रोएशिया, इटली और फ्रांस के ऊपर से होकर उड़ान भरी।
यह भी पढ़ें:
सलमान की ‘सिकंदर’ से टूटी उम्मीदें! 1000 करोड़ का सपना अधूरा, अब तक 200 करोड़ भी नहीं