आज के समय में वायरलेस चार्जिंग काफी पॉपुलर हो रही है। कई स्मार्टफोन ब्रांड्स वायरलेस चार्जिंग को सपोर्ट करने वाले डिवाइस लॉन्च कर रहे हैं। आईफोन और कुछ एंड्रॉयड स्मार्टफोन्स में यह सुविधा मिलने लगी है। हालांकि, यह तकनीक अभी केवल फ्लैगशिप स्मार्टफोन्स तक ही सीमित है।
वायरलेस चार्जिंग क्या है?
वायरलेस चार्जिंग वह तकनीक है, जिसमें स्मार्टफोन को चार्ज करने के लिए चार्जर केबल से कनेक्ट करने की जरूरत नहीं होती। इसके बजाय, फोन को चार्जिंग पैड पर रखकर चार्ज किया जाता है। हालांकि, यह तकनीक सुविधाजनक है, लेकिन इसके कुछ नुकसान भी हैं।
वायरलेस चार्जिंग के नुकसान
धीमी चार्जिंग स्पीड
वायरलेस चार्जिंग की स्पीड वायर्ड चार्जिंग की तुलना में काफी धीमी होती है। इसके कारण फोन चार्ज होने में अधिक समय लगता है।
महंगे डिवाइस और एक्सेसरीज
वायरलेस चार्जिंग सपोर्ट करने वाले डिवाइस और चार्जर सामान्य डिवाइसों की तुलना में अधिक महंगे होते हैं। यह तकनीक मुख्य रूप से प्रीमियम फोन्स में ही मिलती है।
ओवरहीटिंग की समस्या
वायरलेस चार्जिंग के दौरान फोन में ओवरहीटिंग की समस्या हो सकती है, जिससे बैटरी की लाइफ पर नकारात्मक असर पड़ता है।
चार्जिंग की पोजीशन का महत्व
वायरलेस चार्जिंग के लिए फोन को चार्जिंग पैड पर सही स्थिति में रखना पड़ता है। यदि फोन थोड़ा भी हिल जाए, तो चार्जिंग रुक सकती है।
ज्यादा बिजली की खपत
वायरलेस चार्जर आमतौर पर वायर्ड चार्जर की तुलना में ज्यादा बिजली की खपत करते हैं, जिससे बिजली का बिल बढ़ सकता है।
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