क्राइम ब्रांच की इंटर स्टेट सेल की टीम ने इटरस्टेट किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट का पर्दाफाश किया है। इस मामले में किंगपिन सहित 15 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इनके पास 34 फेक स्टांप, 17 मोबाइल, दो लैपटॉप, 9 सिम, लग्जरी गाड़ी और डेढ़ लाख रुपए के अलावा फर्जी डॉक्यूमेंट और पेशेंट के फाइल इत्यादि बरामद किया गया है। यह गैंग दिल्ली, एनसीआर, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश और गुजरात इत्यादि राज्यों में भी एक्टिव था।
गिरफ्तार किए गए आरोपियों में किंगपिन के अलावा हॉस्पिटलों के कोऑर्डिनेटर, पेशेंट और डोनर भी शामिल हैं। इनके पास से अलग-अलग हॉस्पिटल के ब्लैंक पेपर, लेबोरेटरी के कागजात, पेशेंट और डोनर के कागजात भी बरामद किए गए हैं। डीसीपी क्राइम अमित गोयल ने बताया कि इंटर स्टेट सेल की टीम को इसके बारे में एक इनफार्मेशन मिली थी। उसे इनफॉरमेशन को पुलिस टीम ने डेवलप किया। एक महिला ने इसके बारे में पुलिस को शिकायत भी की थी। जिसने संदीप और विजय कुमार कश्यप सुमित के बारे में बताया था। उसके हस्बैंड के लिए इन लोगों ने 35 लाख किडनी ट्रांसप्लांट के लिए लिया।
उस मामले में पुलिस टीम ने छानबीन शुरू की। एसीपी रमेश चंद्र लांबा, सतेंद्र मोहन की देखरेख में इंस्पेक्टर पवन, महिपाल के साथ-साथ सब इंस्पेक्टर राकेश कुमार, अंकित, गौरव, सहायक सब इंस्पेक्टर सुरेश, हेड कांस्टेबल बृजेश, ललित, सुरेंद्र, सुनील, तरुण, विनोद, नितेश और नवीन की टीम ने खुलासा किया। सबसे पहले सुमित उर्फ विजय कश्यप को नोएडा से गिरफ्तार किया गया। उसके बाद संदीप आर्य और देवेंद्र को गोवा के फाइव स्टार होटल से पकड़ा गया। इनसे पूछताछ की गई तो फिर और आरोपी एक-एक करके गिरफ्तार होते चले गए।
जांच में पता चला कि यह पूरा गैंग एक ऑर्गेनाइज मैनेज गैंग की तरह काम करता था। गैंग का एक मेंबर पहले उस अस्पताल में ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर के रूप में जॉब पकड़ता था। उसके बाद फिर यह लोग उस पेशेंट को पहचान करते थे जो किडनी की बीमारी से सफर कर रहे होते थे। यह लोग दिल्ली, फरीदाबाद, मोहाली, पंचकूला, आगरा, इंदौर और गुजरात के पेशेंट को मुख्य रूप से टारगेट करते थे। सोशल मीडिया के जरिए डोनर का पता लगाते थे और उनके पुअर फाइनेंसियल कंडीशन का फायदा उठाकर 5 से 6 लख रुपए में किडनी देने के लिए तैयार कर लेते थे।
यह लोग उसका फर्जी डॉक्यूमेंट बनाकर उन्हें नजदीकी रिलेटिव बताकर इस गोरख धंधे में शामिल करते थे। यह दिल्ली सहित अलग-अलग स्टेट के 11 हॉस्पिटल में सक्रिय भूमिका निभा रहे थे। इनमें पांच आरोपी पुनीत कुमार, मोहम्मद हनीफ शेख, तेज प्रकाश और रोहित खन्ना, नरेंद्र को दिल्ली के अलग-अलग जगह से गिरफ्तार किया गया। पुलिस के अनुसार अभी तक इस गैंग के द्वारा 34 किडनी ट्रांसप्लांट का मामला के पता चला है।
गिरफ्तार किए गए आरोपियों में किंगपिन संदीप आर्य नोएडा का रहने वाला है। यह पब्लिक हेल्थ में एमबीए की पढ़ाई कर चुका है। यह दिल्ली, गुरुग्राम, फरीदाबाद, इंदौर और बड़ोदरा मैं ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर के रूप में काम कर चुका है। यह 35 से 40 लख रुपए इसका लेता था इसे सब कुछ खर्च करने के बाद 7 से 8 लाख एक किडनी ट्रांसप्लांट पर बचता था। यह पता चला कि क्रेडिट कार्ड चीटिंग के मामले में भी शामिल रह चुका है।
दूसरा आरोपी देवेंद्र झा संदीप आर्य का नजदीकी रिलेटिव है। उसके सहायक के रूप में काम करता था, उसको हर एक केस के बदले 50 हजार मिलता था। विजय कुमार कश्यप उर्फ सुमित लखनऊ का रहने वाला है। ग्रेजुएट की पढ़ाई कर चुका है, यह संदीप आर्य के संपर्क में आया था। पैसे की जरूरत की वजह से इसने किडनी दिया था। बाद में यह भी शामिल हो गया। इसे भी एक किडनी ट्रांसप्लांट के बदले में 50 हजार मिलता था। पुनीत कुमार हॉस्पिटल मैनेजमेंट की डिग्री की पढ़ाई कर चुका है और यह अलग-अलग कई राज्यों में काम कर चुका है। अभी यह आगरा के एक अस्पताल में ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर के रूप में काम कर रहा था। इसे 50 हजार से लेकर एक लाख एक किडनी ट्रांसप्लांट पर मिलता था। मोहम्मद हनीफ शेख मुंबई का रहने वाला है, यह पैसे से टेलर है। फाइनेंसियल कंडीशन अच्छा नहीं होने की कारण इसने अपना किडनी संदीप आर्य के जरिए डोनेट किया था। बाद में गोरख धंधे में शामिल हो गया। एक आरोपी हैदराबाद का रहने वाला है, यह भी किडनी अपना डोनेट कर चुका है। उसके बाद संदीप आर्य के ही संपर्क में रहकर गोरख धंधे में शामिल हो गया।