इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने सोमवार को वित्त वर्ष 2024-25 के लिए देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के अनुमान को 6.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 7.1 प्रतिशत कर दिया। यह अनुमान रिजर्व बैंक के सात प्रतिशत के अनुमान से थोड़ा अधिक है।
क्या है बदलाव करने की वजह
घरेलू रेटिंग एजेंसी ने बयान में कहा कि सरकारी पूंजीगत व्यय बने रहने, कॉरपोरेट और बैंकिंग क्षेत्र के बही-खाते में कर्ज की कमी और आरंभिक निजी कॉरपोरेट पूंजीगत व्यय से मिले मजबूत समर्थन ने उसे वृद्धि अनुमान में संशोधन करने के लिए मजबूर किया है। इसके साथ ही रेटिंग एजेंसी ने कहा कि उपभोग मांग का व्यापक आधार नहीं होना और वैश्विक स्तर पर सुस्त वृद्धि के कारण निर्यात में आने वाली बाधाएं भारत की जीडीपी वृद्धि को सीमित कर सकती है।
तीन साल का उच्चतम स्तर
एजेंसी ने उम्मीद जताई कि निजी अंतिम उपभोग व्यय में वृद्धि वित्त वर्ष 2024-25 में बढ़कर सात प्रतिशत हो जाएगी, जो वित्त वर्ष 2023-24 में तीन प्रतिशत थी। यह तीन साल का उच्चतम स्तर होगा। इस रिपोर्ट में मौजूदा उपभोग मांग को अधिक विषम बताते हुए कहा गया है कि यह उच्च आय वर्ग से संबंधित परिवारों द्वारा बड़े पैमाने पर उपभोग की जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं से प्रेरित है जबकि ग्रामीण खपत कमजोर बनी हुई है।
इंडिया रेटिंग्स ने कहा कि सामान्य से बेहतर मानसून रहने से गेहूं की सरकारी खरीद के चालू वित्त वर्ष में 3.7 करोड़ टन रहने पर खपत बढ़ सकती है। पिछले वित्त वर्ष में गेहूं की खरीद 2.6 करोड़ टन रही थी।
दिसंबर तिमाही के आंकड़े
भारतीय अर्थव्यवस्था वर्ष 2023 के अंतिम तीन महीनों में उम्मीद से कहीं बेहतर 8.4 प्रतिशत की दर से बढ़ी जो डेढ़ साल में सबसे अधिक है। आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 8.4 प्रतिशत रही जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में यह 4.3 प्रतिशत थी। इसने समूचे वित्त वर्ष (2023-24) के लिए वृद्धि अनुमान को बढ़ाकर 7.6 प्रतिशत कर दिया है।