आईएसएमआर में शामिल होने गए भारतीय मंत्रियों ने सिंगापुर के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री से मुलाकात की

विदेश मंत्री एस जयशंकर, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोमवार को सिंगापुर के राष्ट्रपति थर्मन शणमुगारत्नम और प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग से मुलाकात की तथा द्विपक्षीय रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की।

चारों मंत्री सोमवार को आयोजित होने वाले दूसरे भारत-सिंगापुर मंत्रिस्तरीय गोलमेज सम्मेलन (आईएसएमआर) के लिए यहां आए हैं, जिसमें द्विपक्षीय सहयोग पर चर्चा की जाएगी और आपसी हितों के मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान किया जाएगा।

जयशंकर ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘सिंगापुर के राष्ट्रपति थरमन एस से संयुक्त रूप से मुलाकात कर सम्मानित महसूस कर रहा हूं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से हार्दिक शुभकामनाएं दीं। भारत-सिंगापुर रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाने के तरीकों पर उनके मार्गदर्शन की सराहना करता हूं।’’

उन्होंने प्रधानमंत्री वोंग से भी मुलाकात की। जयशंकर ने कहा, ‘‘आज सुबह सिंगापुर के प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग से मुलाकात करके बहुत खुशी हुई। साथ में मेरी सहयोगी निर्मला सीतारमण, पीयूष गोयल और अश्विनी वैष्णव थे। हमने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से हार्दिक शुभकामनाएं दीं। भारत-सिंगापुर मंत्रिस्तरीय गोलमेज सम्मेलन में प्रधानमंत्री वोंग की सतत सहभागिता की सराहना करता हूं।’’

आईएसएमआर में चारों नेता अपने सिंगापुरी समकक्षों के साथ शामिल होंगे और सितंबर 2022 में नई दिल्ली में आयोजित पहले आईएसएमआर की प्रगति की समीक्षा करेंगे। आईएसएमआर का आयोजन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगले महीने सिंगापुर की संभावित यात्रा से पहले यहां किया जा रहा है।

उप प्रधानमंत्री और व्यापार एवं उद्योग मंत्री गान किम योंग सिंगापुर के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे। सिंगापुर के प्रतिनिधिमंडल में विदेश मंत्री डॉ. विवियन बालकृष्णन, गृह एवं विधि मंत्री के. षणमुगम, डिजिटल विकास एवं सूचना मंत्री तथा गृह मामलों के द्वितीय मंत्री जोसेफिन टेओ आदि शामिल होंगे।

आईएसएमआर एक अनूठा तंत्र है जिसकी स्थापना भारत-सिंगापुर द्विपक्षीय संबंधों के लिए नया एजेंडा तय करने के लिहाज से की गई है। विदेश मंत्रालय ने शनिवार को नई दिल्ली में कहा कि इस बैठक से दोनों पक्ष अपनी रणनीतिक साझेदारी के विभिन्न पहलुओं की समीक्षा कर सकेंगे तथा इसे और आगे बढ़ाने तथा व्यापक बनाने के लिए नए रास्ते तलाश सकेंगे।

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