आजकल आप बैंक अकाउंट खोलें, मोबाइल सिम लें या डिजिटल वॉलेट इस्तेमाल करें — हर जगह सबसे पहले एक शब्द सुनने को मिलता है: KYC.
तो चलिए जानते हैं कि ये KYC आखिर क्या बला है और क्यों हर जगह इसकी मांग होती है।
📌 KYC का मतलब क्या है?
KYC का फुल फॉर्म है Know Your Customer, यानी “अपने ग्राहक को जानो”.
इस प्रोसेस से कोई भी बैंक, मोबाइल कंपनी या डिजिटल सर्विस यह पक्का करती है कि जो व्यक्ति उनके पास सेवा लेने आया है, वह असली और भरोसेमंद है, कोई फर्जी नहीं।
📝 KYC के लिए क्या-क्या दस्तावेज़ लगते हैं?
आपको अपनी पहचान और पते से जुड़े ये डॉक्यूमेंट देने होते हैं:
आधार कार्ड
पैन कार्ड
पासपोर्ट
वोटर ID
ड्राइविंग लाइसेंस
कभी-कभी लाइव फोटो, वीडियो कॉल या OTP के ज़रिए eKYC भी हो सकती है।
🏦 बैंकिंग में KYC क्यों ज़रूरी है?
बैंक धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग से बचाव के लिए KYC करते हैं।
बिना KYC के सिर्फ लिमिटेड सर्विस मिलती है।
समय पर KYC नहीं करने पर खाता फ्रीज़ भी हो सकता है।
📱 सिम कार्ड खरीदते समय KYC क्यों होती है?
ताकि सिम फर्जी न हो और गलत हाथों में न जाए।
आजकल आधार-आधारित OTP से eKYC करना बेहद आसान हो गया है।
💸 डिजिटल ऐप्स में KYC क्यों जरूरी है?
Paytm, PhonePe, Google Pay जैसे ऐप में:
बिना KYC सिर्फ लिमिटेड ट्रांजैक्शन होते हैं।
फुल एक्सेस और बड़ा ट्रांजैक्शन लिमिट चाहिए तो KYC कराना ज़रूरी है।
⚙️ KYC के कितने प्रकार होते हैं?
Physical KYC: डॉक्यूमेंट की कॉपी देकर
eKYC: OTP के ज़रिए आधार वेरिफिकेशन
Video KYC: लाइव वीडियो कॉल पर पहचान का कन्फर्मेशन
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