बदल रहा मौसम दमा रोगियों के लिए परेशानी का कारण बनता है। उसमें यह कोरोना काल और परेशान कर सकता है। ऐसे में दमा या सांस की किसी भी बीमारी से ग्रसित रोगियों को ज्यादा सजग रहने की जरूरत है। विशेषज्ञों के अनुसार प्रदूषण दमा रोग का सबसे बड़ा कारण है। इससे भरसक बचने का प्रयास करना चाहिए। इसके अतिरिक्त बदलते मौसम में रहन-सहन पर भी विशेष ध्यान देना जरूरी है।
इस संबंध में हृदय एवं फेफड़ा रोग विशेषज्ञों का कहना है कि बदलते मौसम में सांस रोगियों को खान-पान पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। ऐसे दमा रोगियों को आवश्यकता अनुसार इन हीलर लेना चाहिए। बहुत लोगों में यह भ्रम है कि इल हीलर लेने से आदत बन जाती है, जबकि ऐसा नहीं है। प्रदूषण से हर समय बचना चाहिए।
दमा रोगियों को हर समय सतर्क रहने की जरूरत होती है लेकिन, मौसम बदलाव में विशेष सतर्कता की जरूरत होती है। ताजा अदरक खाना या गर्म पानी में अदरक डालकर पीने से श्वसन मार्ग का संक्रमण दूर होता है। अदरक श्वसन मार्ग में संक्रमण पैदा करने वाले आरएसवी वायरस से लड़ने भी असरकारी है। उन्होंने बताया कि दमा रोगियों को प्रदूषण से विशेष सतर्क रहने की जरूरत होती है। घर में भी विशेष रूप से साफ-सफाई पर ध्यान देना चाहिए।
मेथी भी इसमें विशेष फायदेमंद है। रोगी को चाहिए कि एक लीटर पानी में दो बड़ा चम्मच मेथी के दाने डालकर आधा घंटे तक उबालने के बाद छान लें। दो बड़े चम्मच अदरक का पेस्ट एक छलनी में डालकर उस रस को निकाल कर मेथी के पानी में डालें। उसके बाद एक चम्मच शुद्ध शहद इस मिश्रण में डालकर अच्छी तरह से मिला लें। दमा के रोगी को यह मिश्रण प्रतिदिन सुबह पीना चाहिए।
आंवला को दो छोटे चम्मच पावडर एक कटोरी में लेकर एक छोटा चम्मच शहद डालकर अच्छी तरह से मिलाकर हर दिन सुबह लेने से भी फायदा करता है। उन्होंने एक कटोरी में शहद लेकर उसको सूंघने से दमा के रोगी को सांस लेने में आसानी होती है। उन्होंने बताया कि लहसुन फेफड़ों के कंजेस्शन को कम करने में बहुत मदद करता है। दस-पंद्रह जावा दूध में डालकर कुछ देर तक उबालें। उसके बाद एक गिलास में डालकर गुनगुना गर्म ही पीने की कोशिश करें। इस दूध का सेवन दिन में एक बार करना चाहिए।