अपने बच्‍चों को ऐसे दिलाएं गैजेट्स की लत से छुटकारा

टेक्नोलॉजी आज हर काम को आसान बना रही है. पहले जो काम करने में घंटों लग जाया करते थे, अब वो काम मिनटों और सेकेंडों में हो जाते हैं. एक तरफ जहां टेक्नोलॉजी लोगों को कई तरह से फायदा पहुंचा रही है, वहीं दूसरी तरफ ये कई तरह से आपको नुकसान भी पहुंचा रही है.

वक्त के साथ- साथ जहां आज टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल बढ़ता जा रहा है. वहीं बच्चों से उनका बचपन छूटता जा रहा है. वो घर से बाहर मैदान में खेलने की जगह ज्यादा वक्त मोबाइल, कंप्युटर और टीवी जैसे गैजेट्स पर गुजारने लगे हैं.

आज कल के बच्चे गैजेट्स के आदि हो चुके हैं. ऐसे में अगर आपके बच्चों को भी गैजेट्स की लत लगती जा रही है और वो अपना बचपन खोते जा रहे हैं, तो आज हम आपको ऐसी बातों के बारे में बताने जा रहे हैं. जिनके जरिए आप उनकी इस लत को छुड़वा सकते हैं.

बच्चों को गैजेट्स से दूर करने का सबसे अच्छा तरीका है रेग्युलर एक्सरसाइज करवाना. एक्सरसाइज का असर दिमाग के काम करने की क्षमता पर पड़ता है. नियमित व्यायाम करने वाले बच्चों की थिंकिंग स्किल्स कभी घटती नहीं है और उन्हें ये बात भी समझ आती है कि गैजेट्स उनकी सेहत के लिए कितने नुकसानदेह हैं.

बच्चों के मूड पर असर

मेडिकल जर्नल ‘प्रोसिडिंग्स ऑफ द नेशनल अकादमी ऑफ साइंसेस’ में प्रकाशित रिपोर्ट में बताया गया है कि जो बच्चे व्यायाम करते हैं, वो शांत रहते हैं. इसीलिए यदि कोई बच्चा गैजेट्स का इस्तेमाल कर-कर के चिड़चिड़ा हो गया है, तो सबसे आसान उपाय है उससे फिजिकल एक्टिविटी करवाइये.

ऐसा करने से शरीर में बीटा-एंडोर्फिन हार्मोन निकलता है जो मॉर्फिन की तुलना में काफी ज्यादा शक्तिशाली है.यही नहीं, सेंट्रल नर्वस सिस्टम में सेरोटॉनिन नामक हार्मोन की मात्रा बढ़ाता है। हमें जो अच्छी फीलिंग्स आती हैं, उसके पीछे यही हार्मोन होता है. ऐसा करने से बच्चे बार-बार बीमार नहीं होंगे

अक्सर ऐसा होता है कि बच्चे लगातार कई घंटों या फिर दिनों तक गैजेट्स का इस्तेमाल करते रहते हैं, जिसकी वजह से उनकी सेहत पर बुरा असर पड़ाने लगता है. वो जल्दी-जल्दी बिमार पड़ाने लग जाते हैं. ऐसे में बच्चों को गैजेट्स से दूर करना जरूरी हो जाता हैं. इसलिए अगर आप चाहते हैं, कि वो गैजेट्स से दूर रहे तो सुबह उसे जल्दी उठाने की आदत डाले साथ ही योग करने की भी. ऐसा करने से उसका दिमाग स्थिर रहेगा और वो सेहतमंद भी रहेगा.

योग शरीर में उर्जा के स्तर को बढ़ाकर रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मददगार है. ऐसे बच्चे बीमार नहीं पड़ते हैं। साथ ही यह शारीरिक दर्द से छुटकारा दिलाने में मदद करती है |