जयराम रमेश के ‘ट्रिपल झटका’ बयान पर हरदीप सिंह पुरी का पलटवार, बोले – झूठ की बुनियाद पर चल रही कांग्रेस

नई दिल्ली – कांग्रेस नेता जयराम रमेश द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच फोन पर हुई बातचीत को लेकर उठाए गए सवालों पर अब केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने जोरदार पलटवार किया है। पुरी ने कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि “जिस पार्टी की राजनीति हर दिन उजागर हो रहे झूठों पर टिकी हो, वहां से इस तरह के बयान आना कोई नई बात नहीं है।”

📞 मोदी-ट्रंप कॉल पर दी सफाई
पुरी ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ट्रंप से मुलाकात करनी थी, लेकिन उन्हें जल्दी लौटना पड़ा, जिसके चलते दोनों नेताओं के बीच 35 मिनट की टेलीफोन बातचीत हुई। इस बारे में विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने जानकारी दी थी।

🔥 ऑपरेशन सिंदूर का ज़िक्र
केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा,

“22 अप्रैल के बाद हमने स्पष्ट कर दिया था कि जो भी दोषी होंगे, उन्हें सजा मिलेगी। और ऑपरेशन सिंदूर के तहत महज 22 मिनट में आतंकियों के ठिकानों को तबाह कर दिया गया। इसके तुरंत बाद पाकिस्तान के DGMO ने खुद फोन कर सीजफायर की बात की।”

पुरी ने कहा कि यह सब भारत की निर्णायक कूटनीति का उदाहरण है, और विपक्ष को बेवजह भ्रम फैलाने की बजाय तथ्यों को समझना चाहिए।

💥 क्या था कांग्रेस का ‘ट्रिपल झटका’ आरोप?
जयराम रमेश ने विदेश नीति पर सरकार को घेरते हुए भारत को ‘कूटनीति में ट्रिपल झटका’ लगने का दावा किया था। उन्होंने निम्न तीन बिंदु उठाए:

1️⃣ पहला झटका:
पाकिस्तानी जनरल असीम मुनीर को व्हाइट हाउस में ट्रंप के साथ भोजन का निमंत्रण, जबकि उनका नाम पहलगाम आतंकी हमले से जुड़ा है। रमेश ने पूछा – क्या यह भारत की कूटनीतिक हार नहीं है?

2️⃣ दूसरा झटका:
अमेरिकी सेंट्रल कमांड प्रमुख माइकल कुरिल्ला ने हाल ही में पाकिस्तान के लिए ‘अभूतपूर्व’ शब्द का प्रयोग किया। कांग्रेस का सवाल – जिसे हम आतंकवाद का गढ़ कहते हैं, उसके लिए अमेरिका की यह टिप्पणी क्या संदेश देती है?

3️⃣ तीसरा झटका:
डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि उनकी मध्यस्थता की वजह से भारत-पाक युद्ध टला, और ट्रेड वार्ता शुरू हुई। इस पर पीएम मोदी ने 37 दिनों तक चुप्पी साधे रखी। जबकि अब विदेश सचिव बताते हैं कि 35 मिनट की कॉल हुई थी।

जयराम रमेश ने कहा,

“यदि पीएम मोदी ने ट्रंप से बातचीत की थी तो वह सीधे सर्वदलीय बैठक या संसद में इसका उल्लेख क्यों नहीं करते? सिर्फ विदेश सचिव के जरिए क्यों जानकारी दी जा रही है?”

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