हालही में एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि नेस्ले इंडिया विकासशील देशों और विकसित देशों के हिसाब से चीनी की मात्रा में हेर-फेर कर रही है। कंपनी की मुसीबतें अब बाद चुकी है क्योंकि उपभोक्ता खाद्य पदार्थों के मंत्रालय ने इस मुद्दे पर गहरी चिंता जताई है और इस लेकर FSSAI को जांच के आदेश दिए है। आपको बता दें कि ये जांच स्विस गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) पब्लिक आई और इंटरनेशनल बेबी फूड एक्शन नेटवर्क (आईबीएफएएन) द्वारा की गई थी जिसने अपनी एक रिपोर्ट में यह दावा किया है कि नेस्ले ने भारत सहित कम विकसित देशों जैसे अफ्रीकी और लैटिन अमेरिकी देशों में ज्यादा चीनी मिलाकर अपने शिशु उत्पाद को बेचा है।
रिपोर्ट्स में पाया गया की विभिन्न बेबी प्रोडक्ट्स जिनकी संख्या 150t थी उन सभी की स्टडी में सामने आया है की 6 महीने के बच्चों के लिए नेस्ले के द्वारा बनाया गया उत्पाद सेरेलैक विकसित देशों जैसे ब्रिटेन और जर्मनी में बिना किसी अतिरिक्त चीनी के बेचा जा जाता है। जबकि भारत में 15 सेरेलैक के उत्पादों में एक बार की सर्विंग में लगभग 2.7 ग्राम चीनी ज्यादा मिली थी। रिपोर्ट के मुताबिक उत्पाद में सबसे ज्यादा चीनी थाईलैंड में जोकि 6 ग्राम के आसपास पाई गई है।
उपभोक्ता मामलों की सचिव प्रमुख निधि खरे का खाना है की हमने एफएसएसएआई को नेस्ले के शिशु उत्पाद पर आई रिपोर्ट की जांच के आदेश दिए है। निधि खरे ने पत्र में कहा है की नेस्ले कंपनी द्वारा WHO की गाइडलाइंस का उल्लंघन किया गया है जिसमे बच्चों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया गया है। दोहरे मानदंडों को अपनाकर नेस्ले कंपनी ने नियमों का उल्लंघन किया है जिसके तहत जांच के आदेश दिए गए है।
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