गरीब पर सरकार ने कर बोझ बढ़ाया, अमीरों को राहत: विपक्ष

विपक्ष ने कहा है कि सरकार ने मध्यम वर्ग पर और गरीबों पर कर का बोझ डाल कर उनके जीवन को कठिन बना दिया है, जबकि अमीरों को कर में राहत देकर गरीबी तथा अमीरी के बीच की खाई को बढ़ाने का काम किया है।

लोकसभा में कांग्रेस के डॉ. अमरसिंह ने वित्त विधेयक पर चर्चा की शुरुआत करते हुए मंगलवार को कहा कि सरकार ने बजट में गरीबों, नौकरी पेशा वाले लोगों तथा मध्यम वर्ग के लिए कुछ नहीं दिया है, जबकि अमीरों को खूब राहत देने का काम किया है। वित्त विधेयक को देखकर लगता है कि सरकार की मंशा आम आदमी से एक-एक पैसा वसूल करना तथा अमीरों को कर से छूट देने की है।

उन्होंने कहा कि सरकार व्यक्तिगत स्तर के कर को ऊपर ला रही है और कारपोरेट टैक्स को नीचे ले जा रही है। पिछले दस साल में अमीरों के कर कम हुए हैं जबकि आम आदमी पर टैक्स का बोझ लादा गया है। कर से बचने के लिए मध्यम वर्ग का व्यक्ति बचत करके जो उपाय करता था उसकी सीमा को खत्म कर दिया गया है, यहां तक कि गृह ऋण में मिलने वाले कर को भी कम कर दिया गया है।

कांग्रेस नेता ने कहा कि सरकार ने वृद्धों को भी नहीं छोड़ा है और उनकी आय सीमा को भी घटा कर उन पर कर का शिकंजा कसा जा रहा है। पहले वृद्धों के लिए कर सीमा पांच लाख रुपए होती थी, लेकिन अब उसे घटाकर तीन लाख कर दिया है। उनका कहना था कि यदि बूढों की आय पर यह कर कम किया जाता और इसे पांच लाख रुपए ही रखा जाता तो इससे लोगों की खरीद क्षमता बढती और इसका सीधा लाभ देश को होता इसलिए उनकी सीमा को पहले की तरह ही रखा जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि सरकार खुद को किसानों का हितैषी होने का दावा करती है, लेकिन इसमें सच्चाई नहीं है और उसके काम किसानों के हित में नहीं हैं। उन्होंने कहा कि अगर सरकार सच में देश के किसानों की हितैषी है और उनका हित करना चाहती है तो उसे किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए तत्काल कानून बनाने की घोषणा करनी चाहिए।

भाजपा के निशिकांत दुबे ने विधेयक पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि सरकार देश को आत्मनिर्भर और विकसित भारत बनाने के लिए काम कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार ने काॅरपोरेट में टैक्स कम किया है क्योंकि सरकार चाहती है कि उद्योगों को निवेश के लिए आमंत्रित और प्रोत्साहित किया जाय इस मकसद से उनके टैक्स को कम किया गया है इसलिए विपक्ष का यह आरोप गलत है कि काॅरपोरेट टैक्स कम किया गया है।

उन्होंने कहा कि सरकार ने एंजल टैक्स को खत्म कर बच्चों के लिए रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने का काम किया है, लेकिन विपक्ष इसको लेकर सरकार पर लगातार हमला कर रहा है जो गलत है। उन्होंने कहा कि 32-33 लाख करोड़ रुपए का जो टैक्स आता है वह देश की कंपनियों के जरिए ही देश को मिलता है। विपक्ष के नेता जिस उद्योगपति को लेकर सरकार को बराबर घेरने का प्रयास करते हैं उससे चार लाख करोड़ रुपए टैक्स देश को मिलता है।

श्री दुबे ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी 1988 में बेनामी लेनदेन विधेयक लाये थे, लेकिन उसे लागू नहीं किया। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के प्रेस सलाहकार रहे संजय बारू ने अपनी पुस्तक ‘एक्सीडेन्टल प्राइममिनिस्टर’ में लिखा है कि श्री सिंह के कार्यकाल में सरकार प्रधानमंत्री नहीं बल्कि तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी चलाती थीं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस मोदी सरकार को बदनाम करना चाहती है।

समाजवादी पार्टी के नीरज मौर्य ने कहा कि बहुत ढिंढोरा पीटा जा रहा है कि वर्ष 2047 में भारत विकसित देश बन जायेगा। उन्होंने कहा कि किसान महंगी उवर्रक, डीजल और आवारा पशुओं से परेशान हैं, युवा रोजगार के भटक रहे हैं। आम आदमी महंगाई से त्रस्त है, ऐसे में भारत कैसे विकसित देश बनेगा। उन्होंने कहा कि गांवों के विकास के बिना देश विकसित नहीं होगा।

श्री मौर्य ने कहा कि सरकार को जमीनी हकीकत से रूबरू होना चाहिये, कल्याणकारी योजनायें चलानी चाहिये। उन्होंने कहा कि अस्पतालों का बुरा हाल है। निजी अस्पतालों ने लूट मचा रखी है। सरकार को इन सब समस्याओं पर तत्काल ध्यान देकर इनका निराकरण करना चाहिये। उन्होंने कहा कि देश में एक शिक्षा व्यवस्था, एक स्वास्थ्य व्यवस्था लागू करनी चाहिये।

तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा ने कहा कि जीवन बीमा पर वस्तु एवं सेवा कर तुरन्त समाप्त किया जाना चाहिये। उन्होंने कहा कि ग्राम सड़क योजना का धन कम किया गया है, जिसे बढ़ाया जाना चाहिये। उन्होंने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और आंगनबाड़ी केन्द्रों में भोजन बनाने वाली रसोइयों का मानदेय बढ़ाया जाना चाहिये। सामाजिक सुरक्षा पेंशन की राशि भी बढ़ायी जानी चाहिये।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कुर्सी बचाने में मस्त हैं, उन्हें देश की स्थिति देखनी चाहिये। उन्होंने कहा कि सरकार को रोजगार निर्माण में सबसे खराब रिकॉर्ड रहा है।

सुश्री मोइत्रा ने कहा कि आंध्रप्रदेश की राजधानी के लिये बजट में 15 हजार करोड़ रुपये देने की बात की गयी है, लेकिन यह धन विभिन्न एजेंसियों से कर्ज के रूप में दिलाया जायेगा, जिसका भुगतान ब्याज सहित आगामी दिनों में करना पड़ेगा। आंध्र प्रदेश के युवाओं को इस पर ध्यान देना चाहिये। उन्होंने कहा कि यह कुर्सी बचाने का बजट है।

द्रमुक के अरुण नेहरू ने कहा कि इस बजट से प्रतीत होता है कि सरकार रोजगार निर्माण में विफल रही है। सरकार की नीतियों से असमानता आ रही है। इस ओर ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु के साथ निष्पक्षता का व्यवहार किया जाना चाहिये।

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