गैस्ट्रिक रोग, जिसे अपच या एसिडिटी के रूप में भी जाना जाता है, पेट में दर्द, जलन, अपच और मतली जैसी अप्रिय लक्षणों का कारण बन सकता है। हालांकि, गैस्ट्रिक के लक्षणों को नियंत्रित करने और पाचन में सुधार करने के लिए आप अपनी डाइट में कुछ बदलाव कर सकते हैं।
यहां 5 ऐसे खाद्य पदार्थ दिए गए हैं जिन्हें गैस्ट्रिक के मरीजों को अपनी डाइट में शामिल करना चाहिए:
1. केला:
- केला पोटेशियम का एक अच्छा स्रोत है, जो इलेक्ट्रोलाइट संतुलन बनाए रखने में मदद करता है और दस्त से होने वाले नुकसान को कम करता है।
- केले में पाया जाने वाला पेक्टिन पाचन तंत्र को शांत करने और पेट में जलन को कम करने में मदद करता है।
2. दही:
- दही में प्रोबायोटिक्स होते हैं जो पाचन तंत्र में अच्छे बैक्टीरिया को बढ़ावा देते हैं।
- ये अच्छे बैक्टीरिया भोजन के टूटने में मदद करते हैं और पेट फूलने और गैस को कम करते हैं।
3. अदरक:
- अदरक सदियों से पाचन संबंधी समस्याओं के इलाज के लिए इस्तेमाल होता रहा है।
- इसमें जींजरॉल नामक एक यौगिक होता है जो मतली, उल्टी और पेट दर्द को कम करने में मदद करता है।
4. खीरा:
- खीरा पानी और विटामिन का एक अच्छा स्रोत है जो आपको हाइड्रेटेड रहने में मदद करता है।
- इसमें मौजूद ककड़ी का रस पेट को ठंडा करने और जलन को कम करने में मदद करता है।
5. चावल:
- चावल एक हल्का और आसानी से पचने वाला भोजन है जो गैस्ट्रिक के मरीजों के लिए उपयुक्त है।
- यह दस्त के दौरान खोए हुए पोषक तत्वों को बदलने में भी मदद करता है।
इन 5 खाद्य पदार्थों के अलावा, गैस्ट्रिक के मरीजों को अपनी डाइट में निम्नलिखित बातों का भी ध्यान रखना चाहिए:
- छोटे-छोटे भोजन बार-बार खाएं:
- बड़े भोजन के बजाय दिन भर में 5-6 छोटे भोजन करना पेट पर बोझ कम करता है और पाचन में सुधार करता है।
- धीरे-धीरे खाएं और भोजन को अच्छी तरह से चबाएं:
- जल्दी-जल्दी खाना और भोजन को ठीक से न चबाना अपच और पेट फूलने का कारण बन सकता है।
- तले हुए, मसालेदार और жирные खाद्य पदार्थों से बचें:
- ये खाद्य पदार्थ पेट में जलन और अपच पैदा कर सकते हैं।
- शराब, कैफीन और कार्बोनेटेड पेय पदार्थों से बचें:
- ये पेय पेट में जलन और एसिडिटी को बढ़ा सकते हैं।
- पर्याप्त मात्रा में पानी पीएं:
- हाइड्रेटेड रहना पाचन तंत्र के लिए महत्वपूर्ण है। दिन भर में 8-10 गिलास पानी पीने का लक्ष्य रखें।
गैस्ट्रिक के लक्षणों का अनुभव करने वाले लोगों को डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए और उचित निदान और उपचार प्राप्त करना चाहिए।
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