मध्य पूर्व में आज इजराइल और ईरान एक-दूसरे के खून के प्यासे हैं, लेकिन एक दौर ऐसा भी था जब ये दोनों देश इतने करीब थे कि एक साथ मिलकर दुश्मनों पर हमला किया करते थे।
आज जो दो राष्ट्र एक-दूसरे को मिटा देने की कसम खाए हुए हैं, उन्होंने कभी साझा मिसाइल प्रोजेक्ट भी चलाया था — और एक-दूसरे की खुफिया एजेंसियां साथ बैठकर ऑपरेशन प्लान करती थीं।
🇮🇱 ईरान-इजराइल: ‘जय-वीरू’ से ‘कट्टर दुश्मन’ तक
आज ईरान और इजराइल एक-दूसरे को फूटी आंख नहीं सुहाते। लेकिन
कभी दोनों ने मिलकर मध्य पूर्व के दुश्मनों को टारगेट किया,
साझा तेल पाइपलाइन,
साझा मिसाइल कार्यक्रम,
और यहां तक कि मोसाद और SAVAK (ईरानी खुफिया एजेंसी) ने मिलकर खुफिया ऑपरेशन चलाए।
🔙 दोस्ती की शुरुआत: जब अरब देशों से अलग खड़ा था ईरान
1948 में इजराइल के गठन के बाद अरब देशों ने इसका विरोध किया,
लेकिन 1950 में ईरान ने इजराइल को व्यावहारिक मान्यता दी,
यह साहसिक कदम था क्योंकि इससे ईरान के अरब देशों से रिश्ते बिगड़ सकते थे।
शाह रजा पहलवी के नेतृत्व में ईरान पश्चिमी सभ्यता के करीब था — और इजराइल उसका एक स्वाभाविक साझेदार बन गया।
🔐 जब मोसाद और SAVAK ने मिलकर ऑपरेशन चलाए
इजराइल ने ईरान की खुफिया एजेंसी SAVAK को ट्रेनिंग दी,
दोनों देशों के बीच सुरक्षा और हथियारों पर गहरा सहयोग हुआ,
ईरान-इराक संघर्ष के दौरान इजराइल ने ईरान को सहायता दी,
इराक के खिलाफ कुर्दों की मदद के लिए भी दोनों साथ आए।
💰 तेल के बदले टेक्नोलॉजी
1960 के दशक में ईरान, इजराइल को तेल की आपूर्ति करता था,
Eilat-Ashkelon पाइपलाइन में ईरान ने निवेश किया था,
बदले में इजराइल ने ईरान को कृषि, सिंचाई और रक्षा तकनीक मुहैया कराई।
🚀 जब दोनों देशों ने मिलकर बनाई मिसाइल
1977 में शुरू हुआ ‘Project Flower’,
एक ज्वाइंट मिसाइल प्रोग्राम, जिसमें परमाणु सक्षम मिसाइलों पर काम हो रहा था,
अमेरिका को बताए बिना यह गुप्त समझौता किया गया था,
तेहरान में मिसाइल असेंबली प्लांट तक बनाए गए थे।
😈 फिर ‘शैतान’ क्यों बना इजराइल?
1979 की इस्लामिक क्रांति ने शाह को सत्ता से हटा दिया,
ईरान एक इस्लामिक रिपब्लिक बन गया और इजराइल को ‘शैतान’ कहा जाने लगा,
इजराइल के खिलाफ बयान,
हमास और हिज़्बुल्लाह को समर्थन,
और फिलिस्तीन को लेकर खुले टकराव ने इस दोस्ती को कट्टर दुश्मनी में बदल दिया।
✈️ वो वक्त जब तेहरान से तेल अवीव के लिए उड़ानें भरती थीं
शाह के दौर में 500 से ज्यादा यहूदी परिवार ईरान में रहते थे,
तेहरान और तेल अवीव के बीच नियमित फ्लाइट्स चलती थीं।
💥 अब जिद पर अड़े दो देश, पीछे हैं महाशक्तियां
आज हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि
ईरान और इजराइल सीधे युद्ध में उलझे हैं,
और अमेरिका, रूस और चीन जैसे देश बस तमाशबीन बनकर रह गए हैं।
इस दुश्मनी ने पूरी दुनिया को एक बार फिर मध्य पूर्व की राजनीति की ओर खींच लिया है।
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