अब्बू : ये सुबह-सुबह मुंह लटकाए क्यों बैठे हो गोलू भाई?
गोलू (उदास स्वर में): यार अब्बू बताऊँ? जबसे देसी घी पचास रूपये सस्ता हो गया। मुझे तो घाटा हो गया।
अब्बू (हैरानी से): वह कैसे?
गोलू (रोते स्वर में): पहले देसी घी न खाकर पूरे साढ़े चार सौ रूपये बचते थे। अब सिर्फ चार सौ रूपये ही बचेंगे।😂😜😅😂😂😜
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अब्बू (बड़े गर्व के साथ): मेरे तीन रिश्तेदार राजनीति में रहे हैं।
गोलू: दो का तो मुझे पता है। एक थे बापू “गांधी” और दूसरे चाचा “नेहरू” . . . ये बता तीसरा कौन था ??
अब्बू : ताऊ “देवी लाल”😂😜😅😂😂😜
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अब्बू : गोलू भाई, राशन की दूकान से खाली थैला लेकर कैसे लौट रहे हो?
गोलू: तुम्हे तो पता ही है मैं सिर्फ राशन की दूकान से चीनी ही लेता हूँ। इस बार राशन में चीनी गन्दी आई है इसलिए लेने की इच्छा नहीं हुई।
अब्बू : बस इतनी मामूली सी बात। चीनी ले लेते और बाद में पानी में धोकर साफ़ कर लेते।
गोलू : ज़रा अपना सर दिखा।
अब्बू : ये मेरे सर पर क्या कर रहे हो ?
गोलू : तूने पगड़ी तो बाँधी नहीं है। सरदार जैसा भी तू कहीं से नहीं दिखता फिर तू बातें सरदारों जैसी क्यों करता है?😂😜😅😂😂😜
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गोलू: अब्बू तुम खोडा कॉलोनी में कैसे रहते हो ? मेरा तो खोडा में एक भी दिन रहना मुश्किल है। तुम भी चलकर दिल्ली में क्यों नहीं रहते ?
अब्बू : क्यों क्या खराबी है खोड़ा कॉलोनी में?
गोलू : अबे क्या खराबी है पूछ रहा है! कौन सी खूबी है यहाँ ? कल रातभर से बिजली गुल थी। मोटर नहीं चली इसलिए तुम पानी भी नहीं भर पाये।
अब्बू : ये कोई नई बात थोड़े है!
गोलू : एक तो रातभर बिजली नहीं थी। ऊपर से मच्छर इतने सारे थे कि मुझे उडाकर ले जाने की फ़िराक में थे।
अब्बू : आप निश्चिन्त होकर सोइये गोलू भैया “मच्छरों का प्लान” कामयाब न हो इसलिए खोड़ा वालों ने खाट में खटमल पाल रखे हैं।😂😜😅😂😂😜