आजकल अनियमित जीवनशैली और असंतुलित आहार के कारण कई महिलाएं कम उम्र में पॉलीसिस्टिक ओवरी डिजीज (PCOD) का शिकार हो रही हैं। इस बीमारी में हार्मोनल असंतुलन के कारण महिलाओं की ओवरी में सिस्ट बन जाता है, जिससे उनकी पीरियड्स साइकिल और प्रेग्नेंसी प्रभावित होती है। यह समस्या सेक्स हार्मोन में असंतुलन के कारण होती है। इसके अलावा, यह समस्या अनुवांशिक भी हो सकती है। अगर परिवार में पहले से किसी को यह समस्या रही है, तो उस परिवार की महिलाओं को इस बीमारी का खतरा अधिक रहता है।
अब सवाल उठता है कि कम उम्र में पीसीओडी क्यों हो रहा है और इससे कैसे बचाव किया जा सकता है। आइए, इस बारे में एक्सपर्ट्स से जानते हैं।
पीसीओडी के कारण
ऑब्सटेट्रिक्स एंड गाइनेकोलॉजी की डॉ. बताती हैं कि खराब लाइफस्टाइल, अनियमित दिनचर्या, स्ट्रेस और खराब खानपान के कारण आजकल महिलाएं कम उम्र में पीसीओडी का शिकार हो रही हैं। अगर परिवार में पहले से किसी को पीसीओडी हुआ है तो यह बीमारी होने की संभावना बढ़ जाती है, क्योंकि यह एक जेनेटिक बीमारी हो सकती है। ऐसे में उन परिवारों में जहां यह समस्या पहले से रही हो, वहां की महिलाओं को यह बीमारी होने का खतरा अधिक रहता है।
पीसीओडी के लक्षण
मासिक धर्म (पीरियड्स) की साइकिल में बदलाव
बीपी और कोलस्ट्रॉल का बढ़ना
चेहरे, छाती या पीठ पर अनचाहे बालों का बढ़ना
वजन बढ़ना या मोटापा
चेहरे पर पिंपल और एक्ने का बढ़ना
पीसीओडी से बचाव के उपाय
डॉ. बताती हैं कि पीसीओडी से बचाव के लिए महिलाओं को कई बातों का ध्यान रखना चाहिए। सबसे पहले तो खानपान और लाइफ स्टाइल में सुधार करना जरूरी है। महिलाओं को अपने आहार का पूरा ख्याल रखना चाहिए, जिसमें हरी सब्जियां, ताजा फल, प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ, मछली और फाइबर फूड्स शामिल होने चाहिए। होलग्रेन वाले अनाज भी ज्यादा खाना चाहिए। शुगर का सेवन बिल्कुल कम करना चाहिए, क्योंकि इसमें कार्बोहाइड्रेट की मात्रा अधिक होती है, जो महिलाओं के लिए नुकसानदेह हो सकती है।
स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए महिलाओं को रोज़ाना 30 मिनट की एक्सरसाइज करनी चाहिए। इसके अलावा, योग और वॉकिंग भी करनी चाहिए। अगर परेशानी अधिक बढ़ जाए तो तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए, क्योंकि इस मामले में लापरवाही नहीं करनी चाहिए।
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