आयुर्वेद में कई तरह के काढ़े हैं जो विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं के लिए उपयोग किए जाते हैं। बुखार और गले की खराश जैसी आम समस्याओं के लिए भी आयुर्वेद में कई कारगर नुस्खे मौजूद हैं। इनमें से एक है आयुर्वेदिक काढ़ा।
बुखार और गले की खराश के लिए आयुर्वेदिक काढ़े के फायदे:
- बुखार कम करता है: काढ़े में मौजूद जड़ी-बूटियों में एंटीपायरेटिक गुण होते हैं जो बुखार को कम करने में मदद करते हैं।
- गले की खराश दूर करता है: काढ़े में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण गले की सूजन और खराश को कम करते हैं।
- इम्यूनिटी बढ़ाता है: काढ़े में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स इम्यूनिटी को मजबूत बनाते हैं जिससे शरीर संक्रमण से बेहतर तरीके से लड़ सकता है।
- पाचन दुरुस्त करता है: कई काढ़े में पाचन को दुरुस्त करने वाले गुण होते हैं जो बुखार के दौरान खराब पाचन को ठीक करते हैं।
- शरीर को डिटॉक्स करता है: काढ़े में मौजूद जड़ी-बूटियां शरीर को डिटॉक्स करके उसे स्वस्थ बनाती हैं।
बुखार और गले की खराश के लिए काढ़ा बनाने की विधि:
आवश्यक सामग्री:
- अदरक का टुकड़ा
- तुलसी के पत्ते
- काली मिर्च
- दालचीनी
- लौंग
- पानी
विधि:
- सभी सामग्री को धोकर साफ कर लें।
- एक पैन में पानी डालकर उबाल लें।
- इसमें अदरक, तुलसी, काली मिर्च, दालचीनी और लौंग डालकर कुछ मिनट तक उबालें।
- गैस बंद करके काढ़े को ठंडा होने दें।
- छानकर गुनगुना काढ़ा पीएं।
टिप्स:
- आप चाहें तो इस काढ़े में शहद भी मिला सकते हैं।
- दिन में 2-3 बार गुनगुना काढ़ा पीएं।
- बेहतर परिणाम के लिए आप आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह ले सकते हैं।
अन्य जड़ी-बूटियां जो काढ़े में डाली जा सकती हैं:
- हल्दी
- पुदीना
- धनिया
- मुलेठी
सावधानियां:
- अगर आपको किसी जड़ी-बूटी से एलर्जी है तो उसका इस्तेमाल न करें।
- गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाओं को डॉक्टर की सलाह के बिना कोई भी जड़ी-बूटी का सेवन नहीं करना चाहिए।
- अगर आपको कोई बीमारी है तो डॉक्टर की सलाह के बिना कोई भी घरेलू उपचार न करें।
यह भी पढ़ें;-
सौंफ का अत्यधिक सेवन: जानिए इसके नुकसान, स्वास्थ्य के लिए हानिकारक