अमेरिकी राष्ट्रीय खुफिया एजेंसी एफबीआई ने बयान में कहा है कि जुलाई महीने में बाइडेन के प्रचार अभियान टीम से जुड़े लोगों को एक अनचाहा ई-मेल मिला था, जिसमें ईरानी हैकर्स ने ट्रंप के अभियान से जुड़े गैर सार्वजनिक ऑनलाइन सामग्रियां भेजी थी। हालांकि बाइडेन की टीम ने उस ईमेल का जवाब नहीं दिया। अगस्त में, एजेंसी ने ईरान को इस हैक का जिम्मेदार ठहराया था और तेहरान पर 2024 के चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश करने का आरोप लगाया। हालांकि ईरान ने इन आरोपों से इनकार किया था।
बयान में कहा गया है कि, नवंबर में चुनाव के दिन के करीब आने के साथ ही विदेशी ताकतें चुनाव प्रभावित करने वाली गतिविधियों को बढ़ा रहे हैं। रूस, ईरान और चीन पर विशेष रूप से यह आरोप लगाया गया है कि वे किसी न किसी तरह से अपने फायदे के लिए अमेरिकी समाज में विभाजन को बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं। अमेरिकी एजेंसियों ने कहा कि ईरानी साइबर हमलावरों ने ट्रंप अभियान से चुराई गई जानकारी को अमेरिकी मीडिया संगठनों के साथ साझा करने का भी प्रयास किया था। हालांकि एजेंसी ने उन आउटलेट्स का नाम नहीं बताया।
वहीं दूसरी तरफ अगस्त में ईरान ने आरोपों से इनकार किया था तथा संयुक्त राष्ट्र में उसके मिशन ने वाशिंगटन को सबूत जारी करने की चुनौती दी। उस समय ईरानी मिशन ने कहा था, ऐसे आरोप निराधार हैं और इनका कोई आधार नहीं है। जैसा कि हमने पहले घोषणा की है, इस्लामिक गणराज्य ईरान का अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में हस्तक्षेप करने का न तो इरादा है और न ही मकसद है।
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव को लेकर डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस के बीच कांटे की टक्कर चल रही है। पिछली और दोनों के बीच हुई पहली डिबेट में हालांकि कमला हैरिस ने बाजी मार ली हो लेकिन, ट्रंप ने अभी अपनी हार नहीं स्वीकारी है। वो लगातार अमेरिका में नई सरकार बनाने का दावा पेश करते रहे हैं। अमेरिकी खुफिया और कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने कहा कि हैकरों ने राष्ट्रपति बाइडेन के अभियान से जुड़े व्यक्तियों को अनचाहे ईमेल भेजे थे, जिनमें पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप के अभियान से चुराई गई गैर सार्वजनिक सामग्री के अंश थे। बता दें कि उस वक्त बाइडेन डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार थे, लेकिन जुलाई में उन्होंने बढ़े ही नाटकीय अंदाज में अपनी दावेदारी को समाप्त करने की घोषणा की और कमला हैरिस के नाम पर मुहर लगाई थी।
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