ब्रिटेन में तेज हुई चुनावी सरगर्मी, हिंदू वोट पाने के लिए नेताओं ने किया मंदिर का रुख

मैग्ना कार्टा के गर्भ से निकली, विश्व की सबसे पुरानी संसदीय लोकतंत्र प्रणाली की जमीन पर, चुनाव ने समय से पहले ही दस्तक दे दी है. दरअसल 22 मई को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने एडवांस चुनाव का ऐलान कर दिया. जिसके बाद वहां के मौसम का मिजाज चाहें जैसा हो लेकिन सियासत की आबोहवा गर्म हो गई है।

तमाम पार्टियों के नेता सियासत की चौसर पर नए सरीखे से अपनी बिसात बिछाने में लग गए हैं और उनके चुनावी शोर की अनुगूंज यूनाइटेड किंगडम से बाहर भी सुनाई देने लगी है. पूरे विश्व के साथ भारत भी 4 जुलाई को वहां होने वाले आम चुनाव को टक-टकी लगाकर देख रहा है. तो ऐसे में ये सवाल हर जहन में हो सकता है कि वहां चुनाव किस तरह से होते हैं, कौन सी प्रमुख पार्टियां हैं और चुनावी मुद्दा क्या है… ये तमाम सवाल यक्ष प्रश्न की तरह हैं, जिनका जवाब लोग जानना चाहते हैं।

क्या है मतदान की प्रक्रिया
यूनाइटेड किंगडम में चुनाव गुरुवार के दिन ही होता है और वहां मतदान भी एक ही दिन में हो जाता है. जिसका समय सुबह 7 बजे से रात के दस बजे तक होता है और मतगणना चुनाव खत्म होने के तुरंत बाद शुरू हो जाती है. यूनाइटेड किंगडम को 650 सीटों में बांटा गया है और प्रत्येक सीट से एक उम्मीदवार निर्वाचित हो कर आता है।

वहां के चुनाव में 18 साल से कम उम्र के व्यक्ति को मताधिकार की इजाजत नहीं है. वहीं अगर कोई नागरिक जेल में बंद है या वो कैदी है, तो वे चुनाव में मतदान नहीं कर सकता है. ब्रिटेन में ज्यादातर लोग राजनीतिक पार्टी के बैनर तले ही चुनाव लड़ते हैं, लेकिन कुछ नेता निर्दलीय भी चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमाते हैं. यूनाइटेड किंगडम में कंजर्वेटिव पार्टी और लेबर पार्टी का दबदबा है और अभी एक दशक से वहां की सत्ता पर कंजर्वेटिव पार्टी काबिज है।

फर्स्ट पास्ट द पोस्ट
ये एक चुनावी प्रणाली है जिसके तहत मतदाता एक ही उम्मीदवार को वोट दे सकता है. इस प्रणाली के तहत जिस उम्मीदवार को अधिक वोट मिलता है, वही चुनाव में जीत हासिल करता है. यूनाइटेड किंगडम समेत दुनिया के कई देशों में इसी परिपाटी के जरिए चुनाव होता है. भारत में भी ‘फर्स्ट पास्ट द पोस्ट’ प्रणाली के तहत ही उम्मीदवार निर्वाचित होते हैं. इसमें विजेता को 50 फीसदी से अधिक वोट जीत के लिए हासिल करने की जरूरत नहीं होती है।

अल्पमत की सरकार
यूनाइटेड किंगडम के चुनाव में अगर किसी भी पार्टी को बहुमत (326 सीट) नहीं मिलता है, तो हंग पार्लियामेंट हो जाता है. लेकिन ब्रिटेन में ऐसी स्थिति होने पर सबसे अधिक सीटों वाली पार्टी अपनी सरकार बना सकती है, हालांकि ‘कानून’ बनाने के लिए उसे दूसरे दलों के वोट की जरूरत पड़ेगी. बिना दूसरे दल के समर्थन के अल्पमत की सरकार देश में कोई भी विधान नहीं बना सकती है. इसके अलावा किसी को पूर्ण बहुमत नहीं मिलने पर गठबंधन की सरकार बनाई जा सकती है।

दो सदन की परंपरा
ब्रिटेन में एक संवैधानिक राजतंत्र के साथ संसदीय प्रणाली काम करती है. वहां का राजा, राज्य का मुखिया होता है. यूनाइटेड किंगडम में दो सदन हैं, पहला हाउस ऑफ कॉमन जिसमें 650 उम्मीदवार हैं जो जनता द्वारा चुनकर आते हैं. वहीं दूसरा उच्च सदन है जिसे हाउस ऑफ लॉर्ड्स कहा जाता है, इसमें 784 सदस्य हैं. इनमें से 92 लोग वंशानुगत हैं।

राजनीतिक पार्टियां
कंजर्वेटिव पार्टी जिसकी अभी यूनाइटेड किंगडम में सरकार है, उसका नेतृत्व प्रधानमंत्री ऋषि सुनक कर रहे हैं. इस पार्टी ने 2019 के आम चुनाव में 365 सीटों पर जीत दर्ज की थी. कंजर्वेटिव पार्टी की विचारधारा सेंटर राइट है. लेबर पार्टी का गठन मज़दूर प्रतिनिधि सभा के तौर पर हुआ था, इसकी विचारधारा सेंटर लेफ्ट है।

पिछले चुनाव में इस पार्टी को 202 सीटें मिली थीं. इस पार्टी की कमान अभी कीर स्टार्मर के हाथ में है. लिबरल डेमोक्रेट्स पार्टी की विचारधारा भी सेंटर लेफ्ट है. लिबरल डेमोक्रेट्स पार्टी को 2019 के चुनाव में मात्र 11 सीटों पर जीत मिली थी. हालांकि ये पार्टी साल 2010-15 के दौरान कंजर्वेटिव पार्टी के साथ सत्ता में थी।

नेता जा रहे हिंदू मंदिर
यूनाइटेड किंगडम की कुल आबादी में 10 लाख हिंदू हैं, जिनको अपनी तरफ खींचने के लिए वहां के नेता धर्म का कार्ड खेल रहे हैं. वहां के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक अभी कुछ दिनों पहले ही BAPS स्वामी नारायण मंदिर पहुंचे थे. उसके बाद चुनावी मैदान में उनके प्रतिद्वंद्वी कीर स्टार्मर भी मंदिर दर्शन करने पहुंच गए. इन नेताओं की निगाह मंदिर के अक्स में हिंदू वोट बैंक पर है।