कुछ लोग सुबह-सुबह खाली पेट गुनगुने पानी में नींबू डालकर पीते हैं. तो कुछ लोग खाली पेट एकदम गर्म पानी या नॉर्मल पानी पीते हैं. आइए जानते हैं ठंडा-गर्म पानी पीने से शरीर पर इसका पॉजिटिव और नेगेटिव असर डालता है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गर्म या ठंडा पानी पीने से आपका शरीर स्वस्थ और हाइड्रेटेड रहता है. कुछ लोग दावा करते हैं कि ठंडा पानी पीने की तुलना में गर्म पानी विशेष रूप से पाचन में सुधार, कंजेशन से राहत और यहां तक कि आराम को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है.
सुबह खाने से पहले या रात को सोने से पहले गर्म या ठंडा पानी पीना चाहिए
रिपोर्ट के मुताबिक सुबह खाने से पहले या रात को सोने से पहले गर्म या ठंडा पानी पीना चाहिए. गर्म पेय पदार्थ पीते समय, शोध 130 और 160°F (54 और 71°C) के बीच इष्टतम तापमान की सिफारिश करता है. इससे ऊपर का तापमान जलने या झुलसने का कारण बन सकता है. स्वास्थ्य वृद्धि और कुछ विटामिन सी के लिए, नींबू पानी बनाने के लिए गर्म पानी में थोड़ा नींबू मिलाने का प्रयास करें.
नाक साफ रहता है
गुनगुना पानी पीने से साइनस ठीक होने में मदद मिलती है. साइनस सिरदर्द से भी राहत मिल सकती है. चूंकि आपके साइनस और गले में श्लेष्मा झिल्ली होती है, इसलिए गर्म पानी पीने से उस क्षेत्र को गर्म करने में मदद मिल सकती है और बलगम बनने के कारण होने वाली गले की खराश से राहत मिल सकती है. 2008 के एक पुराने रिसर्च के मुताबिक चाय जैसे गर्म पेय से बहती नाक, खांसी, गले में खराश और थकान से त्वरित, स्थायी राहत मिलती है. गर्म पेय कमरे के तापमान पर उसी पेय की तुलना में अधिक प्रभावी था.
पाचन में सहायता मिलती है
पानी पीने से पाचन तंत्र दुरुस्त रहता है. जैसे ही पानी आपके पेट और आंतों से होकर गुजरता है. शरीर का पाचन तंत्र ठीक से काम करता है. कुछ लोगों का मानना है कि गर्म पानी पीना पाचन तंत्र को एक्टिव रखता है. गर्म पानी आपके द्वारा खाए गए भोजन को भी घोल सकता है और नष्ट कर सकता है जिसे पचाने में आपके शरीर को परेशानी हो सकती है. इस लाभ को साबित करने के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है.
हालांकि साल 2016 के एक अध्ययन से पता चला है कि गर्म पानी सर्जरी के बाद आंतों की गतिविधियों और गैस सही से निकलता है. यदि आपको ऐसा लगता है कि गर्म पानी पीने से आपके पाचन में मदद मिलती है, तो इसे एक उपाय के रूप में उपयोग करने में कोई नुकसान नहीं है. गर्म हो या ठंडा, आपके तंत्रिका तंत्र की कार्यप्रणाली पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है. अंततः मूड और मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को प्रभावित कर सकता है. साल 2019 ट्रस्टेड सोर्स के शोध से पता चला है कि पीने का पानी केंद्रीय तंत्रिका तंत्र की गतिविधि के साथ-साथ मूड में भी सुधार कर सकता है.