गिलोय को आयुर्वेद में अमृत तुल्य माना जाता है। इसके अनेक औषधीय गुण हैं और यह कई बीमारियों के इलाज में उपयोग की जाती है। डायबिटीज के मरीजों के लिए भी गिलोय एक वरदान साबित हो सकती है।
गिलोय कैसे करती है डायबिटीज को नियंत्रित?
- रक्त शर्करा के स्तर को कम करती है: गिलोय में मौजूद गुण रक्त में शर्करा के स्तर को कम करने में मदद करते हैं।
- इंसुलिन संवेदनशीलता बढ़ाती है: यह कोशिकाओं को इंसुलिन के प्रति अधिक संवेदनशील बनाती है, जिससे शरीर शर्करा को बेहतर तरीके से उपयोग कर पाता है।
- एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर: गिलोय में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो कोशिकाओं को नुकसान से बचाते हैं।
- विरोधी भड़काऊ गुण: गिलोय में विरोधी भड़काऊ गुण होते हैं जो शरीर में सूजन को कम करते हैं।
डायबिटीज में गिलोय का सेवन कैसे करें?
गिलोय का सेवन कई तरीकों से किया जा सकता है:
- गिलोय का काढ़ा: गिलोय की पत्तियों को पानी में उबालकर काढ़ा बना लें और इसे छानकर पी लें।
- गिलोय का चूर्ण: गिलोय का चूर्ण पानी के साथ या जूस के साथ मिलाकर ले सकते हैं।
- गिलोय की जड़: गिलोय की जड़ को पीसकर इसका रस निकालकर ले सकते हैं।
- गिलोय का कैप्सूल: बाजार में गिलोय के कैप्सूल भी उपलब्ध हैं।
ध्यान दें: गिलोय का सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
गिलोय के सेवन के लाभ:
- रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करता है।
- इंसुलिन संवेदनशीलता बढ़ाता है।
- पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है।
- प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता है।
- तनाव को कम करता है।
सावधानियां:
- गर्भावस्था और स्तनपान: गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को गिलोय का सेवन करने से पहले डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
- दवाइयों के साथ अंतःक्रिया: गिलोय कुछ दवाओं के साथ परस्पर क्रिया कर सकती है, इसलिए दवा ले रहे मरीजों को डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
- एलर्जी: अगर आपको गिलोय से एलर्जी है तो इसका सेवन न करें।
निष्कर्ष
गिलोय डायबिटीज के मरीजों के लिए एक प्रभावी प्राकृतिक उपचार हो सकता है। हालांकि, इसका सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें। गिलोय को किसी भी बीमारी का इलाज मानकर अन्य चिकित्सा उपचारों को छोड़ना नहीं चाहिए।
अस्वीकरण: यह जानकारी केवल सूचना के उद्देश्य से दी गई है। किसी भी बीमारी के इलाज के लिए डॉक्टर की सलाह लें।
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