हमारा नर्वस सिस्टम शरीर की एक बेहद जटिल और जरूरी प्रणाली है, जो दिमाग से लेकर शरीर के हर हिस्से तक संकेत भेजने और पाने का काम करता है। लेकिन जब नसों में गड़बड़ी आती है, तो इसके लक्षण शुरुआत में बेहद आम लगते हैं – जैसे हाथ-पैर में झुनझुनी, सुन्नपन, हल्का दर्द या थकान। यही वजह है कि लोग इन्हें नजरअंदाज कर देते हैं, जबकि असल में ये किसी गंभीर बीमारी का संकेत हो सकते हैं।
आइए जानते हैं नसों से जुड़ी पांच ऐसी बीमारियों के बारे में, जो धीरे-धीरे शरीर को कमजोर कर सकती हैं अगर समय रहते ध्यान न दिया जाए।
1. पेरिफेरल न्यूरोपैथी (Peripheral Neuropathy)
यह नसों की एक आम बीमारी है, जिसमें हाथ-पैरों में झुनझुनी, जलन, सुन्नपन या चुभन महसूस होती है। यह अक्सर डायबिटीज, शराब का अत्यधिक सेवन, विटामिन B12 की कमी या थायरॉइड से जुड़ी समस्याओं के कारण होता है।
2. साइएटिका (Sciatica)
साइएटिक नस में दबाव या सूजन के कारण यह समस्या होती है। इससे पीठ के निचले हिस्से से लेकर पैर तक तेज़ दर्द महसूस हो सकता है। लंबे समय तक बैठे रहना या गलत मुद्रा इसका कारण बन सकती है।
3. कार्पल टनल सिंड्रोम (Carpal Tunnel Syndrome)
यह हाथ की कलाई में होने वाली नसों की बीमारी है, जिसमें हाथों में सुन्नपन, झुनझुनी और कमजोरी महसूस होती है। लगातार एक ही तरह का काम करने वालों (जैसे टाइपिंग या मशीनरी) को यह अधिक होता है।
4. मल्टीपल स्क्लेरोसिस (Multiple Sclerosis)
यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली खुद की नसों पर हमला करने लगती है। इसके लक्षणों में संतुलन खोना, देखने में परेशानी, बोलने में कठिनाई और शरीर के अंगों में कमजोरी शामिल हो सकते हैं।
5. ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया (Trigeminal Neuralgia)
चेहरे की एक नस में गड़बड़ी के कारण यह स्थिति होती है। इससे चेहरे में असहनीय झटके जैसा दर्द हो सकता है, जो कुछ सेकेंड से लेकर मिनटों तक रह सकता है। यह मामूली दिखने वाला दर्द बेहद तकलीफदेह हो सकता है।
क्या करें बचाव के लिए?
– समय-समय पर हेल्थ चेकअप कराएं
– लंबे समय तक एक ही स्थिति में बैठे न रहें
– विटामिन और मिनरल्स युक्त संतुलित भोजन लें
– मधुमेह और थायरॉइड जैसी बीमारियों पर नियंत्रण रखें
– किसी भी तरह की झुनझुनी, सुन्नपन या कमजोरी को नजरअंदाज न करें
नसों से जुड़ी समस्याएं धीरे-धीरे शरीर की कार्यक्षमता को प्रभावित कर सकती हैं। जरूरी है कि शुरुआती लक्षणों को गंभीरता से लिया जाए और समय रहते डॉक्टर से परामर्श किया जाए। याद रखें, छोटी-सी लापरवाही बड़ी बीमारी में बदल सकती है।