अगर खाने के बाद पेट दर्द, गैस, भारीपन या अपच महसूस होता है, तो इसे मामूली समस्या समझकर नजरअंदाज न करें. यह इरिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS) का लक्षण हो सकता है. यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें पाचन तंत्र ठीक से काम नहीं करता और पेट से जुड़ी कई दिक्कतें हो सकती हैं. अगर समय पर ध्यान न दिया जाए, तो यह समस्या गंभीर रूप ले सकती है.
क्या है इरिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS)?
IBS एक पाचन तंत्र से जुड़ी समस्या है, जिसमें आंतों का सही से काम न करना कब्ज, डायरिया, पेट दर्द और गैस जैसी परेशानियां पैदा कर सकता है. यह समस्या लंबे समय तक बनी रह सकती है और खानपान, तनाव और जीवनशैली से जुड़ी आदतों के कारण और बढ़ सकती है.
कैसे पहचानें IBS के लक्षण?
✔️ खाने के बाद पेट में दर्द या ऐंठन होना
✔️ बार-बार कब्ज या डायरिया की समस्या होना
✔️ पेट में गैस और भारीपन महसूस होना
✔️ खाने के तुरंत बाद टॉयलेट जाने की जरूरत महसूस होना
✔️ भूख कम लगना या जल्दी पेट भर जाना
✔️ पेट में मरोड़ और बेचैनी महसूस होना
👉 अगर ये लक्षण बार-बार महसूस हो रहे हैं, तो इसे हल्के में न लें और डॉक्टर से सलाह लें.
किन कारणों से होता है IBS?
⚠️ गलत खानपान – ज्यादा तली-भुनी, मसालेदार और जंक फूड खाने से आंतों पर बुरा असर पड़ता है.
⚠️ तनाव और चिंता – मानसिक तनाव पाचन तंत्र को प्रभावित कर सकता है और IBS की समस्या बढ़ा सकता है.
⚠️ खराब जीवनशैली – सही समय पर न खाने, नींद पूरी न होने और एक्सरसाइज न करने से आंतें कमजोर हो जाती हैं.
⚠️ डेयरी प्रोडक्ट्स का असर – कुछ लोगों को दूध और डेयरी उत्पाद पचाने में दिक्कत होती है, जिससे IBS के लक्षण बढ़ सकते हैं.
IBS से बचने के लिए क्या करें?
🥦 फाइबर युक्त भोजन लें – दलिया, हरी सब्जियां, फल और दालें खाएं.
🚫 प्रोसेस्ड और जंक फूड से बचें – तला-भुना और ज्यादा मसालेदार खाना कम करें.
💧 पर्याप्त पानी पिएं – दिनभर में कम से कम 8-10 गिलास पानी जरूर पिएं.
🧘 तनाव कम करें – योग, ध्यान और हल्की एक्सरसाइज से दिमाग शांत रखें.
☕ कैफीन और मीठे पेय से बचें – चाय, कॉफी, कोल्ड ड्रिंक्स और मिठाइयों का सेवन कम करें.
🍽️ धीरे-धीरे और अच्छी तरह चबाकर खाएं – जल्दी-जल्दी खाने से गैस और अपच की समस्या हो सकती है.
कब जाएं डॉक्टर के पास?
अगर पेट दर्द, कब्ज या डायरिया लंबे समय तक बना रहे और घरेलू उपायों से राहत न मिले, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. सही समय पर इलाज लेने से IBS को नियंत्रित किया जा सकता है और पेट की सेहत को बेहतर रखा जा सकता है.
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