भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने आज इंदौर उच्च न्यायालय में धार भोजशाला की सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश की है। एएसआई की टीम ने अपनी खुदाई के दौरान 1700 से अधिक पुरावशेषों का पता लगाया है, जिसमें अनेक देवी-देवताओं की मूर्तियाँ शामिल हैं।
सर्वेक्षण दल ने कृष्ण, भगवान गणेश, माता पार्वती और भगवान भोलेनाथ जैसे 37 देवताओं की मूर्तियों सहित अनेक अवशेष खोजे हैं। इस मामले की सुनवाई 22 जुलाई को निर्धारित है।
न्यायालय द्वारा आदेशित सर्वेक्षण
11 मार्च को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ ने ज्ञानवापी में किए गए सर्वेक्षण के समान धार में भोजशाला का सर्वेक्षण करने का आदेश दिया। न्यायालय ने एएसआई को पांच विशेषज्ञों की एक टीम बनाने और छह सप्ताह के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। सर्वेक्षण शुरू में 29 अप्रैल तक पूरा होना था, लेकिन सर्वेक्षण पूरा नहीं होने पर समयसीमा बढ़ा दी गई। हालांकि रिपोर्ट 2 जुलाई को आनी थी, लेकिन एएसआई ने अतिरिक्त चार सप्ताह का समय मांगा, जिसके परिणामस्वरूप आज रिपोर्ट पेश की गई।
विवाद की पृष्ठभूमि
हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस ने 1 मई, 2022 को इंदौर उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। याचिका में कहा गया कि हिंदू हर मंगलवार को भोजशाला में यज्ञ करते हैं, जबकि मुस्लिम शुक्रवार को नमाज पढ़कर यज्ञ कुंड को अपवित्र करते हैं। याचिका में इन गतिविधियों को बंद करने और भोजशाला का पूरा स्वामित्व हिंदुओं को सौंपने की मांग की गई। इसमें पूरी भोजशाला की फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी और खुदाई की भी मांग की गई। उच्च न्यायालय ने इन बिंदुओं के आधार पर सर्वेक्षण पर सहमति जताई।
भोजशाला का ऐतिहासिक महत्व
भोजशाला, 1034 ई. में धार में परमार वंश के शासक राजा भोज द्वारा स्थापित एक महाविद्यालय है, जो 1000 से 1055 ई. तक हिंदू समुदाय के लिए बहुत महत्व का स्थल है। देवी सरस्वती के एक भक्त राजा भोज ने इस संस्थान की स्थापना की, जो तब से हिंदुओं के लिए एक पूजनीय स्थान बन गया है।
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