बैंकॉक में शुक्रवार को आए एक विनाशकारी भूकंप ने तबाही मचाई और एक 33 मंजिला इमारत ताश के पत्तों की तरह ढह गई। इस हादसे में अब तक 17 लोगों की मौत हो चुकी है और 32 लोग घायल हैं, जबकि 83 मजदूर अब भी लापता हैं। यह इमारत एक चीनी समर्थित निर्माण कंपनी द्वारा बनाई जा रही थी, जिससे इस घटना को लेकर सवाल उठने लगे हैं। क्या यह केवल भूकंप का असर था या निर्माण में गड़बड़ी की वजह से यह हादसा हुआ?
बैंकॉक में कई गगनचुंबी इमारतें हैं, लेकिन भूकंप के दौरान सिर्फ इस निर्माणाधीन इमारत को भारी नुकसान हुआ। यह परियोजना थाईलैंड के स्टेट ऑडिट ऑफिस (SAO) के तहत चलाई जा रही थी और इसकी लागत 2 बिलियन थाई बात (करीब 50 हजार करोड़ रुपये) से अधिक थी। इस घटना के बाद थाईलैंड के उप प्रधानमंत्री अनुतीन चारनवीराकुल ने जांच के आदेश दिए हैं और कहा कि एक समिति बनाई गई है, जिसे सात दिनों में रिपोर्ट सौंपनी होगी।
दस्तावेजों में हुई चोरी
इमारत गिरने के बाद एक और चौंकाने वाली घटना सामने आई। चार चीनी नागरिकों को वहां से 32 महत्वपूर्ण दस्तावेज चोरी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। बैंकॉक के गवर्नर ने इस स्थान को आपदा क्षेत्र घोषित कर दिया है, जहां केवल अधिकृत लोग ही जा सकते हैं। यह इमारत इटालियन-थाई डेवलपमेंट पीएलसी (ITD) और चाइना रेलवे नंबर 10 (थाईलैंड) लिमिटेड द्वारा बनाई जा रही थी। चीनी कंपनी की इस परियोजना में 49% हिस्सेदारी थी, जो कि थाई कानून के तहत विदेशी स्वामित्व की अधिकतम सीमा है।
सुरक्षा मानकों पर उठे सवाल
इस परियोजना को 2026 तक पूरा किया जाना था, लेकिन यह निर्धारित समय से काफी पीछे चल रही थी। थाईलैंड के डिप्टी ऑडिटर जनरल सुथिपोंग बूननिथी के अनुसार, निर्माण कार्य अभी केवल 30% ही पूरा हुआ था। थाईलैंड की एंटी-करप्शन संस्था के अध्यक्ष माना निमित्तमोंगकोल ने कहा कि उनकी संस्था ने पहले भी इस निर्माण कार्य को लेकर चिंता जताई थी। उन्होंने बताया कि निर्माण स्थल पर मजदूरों की संख्या जरूरत से कम थी, जिससे देरी हो रही थी। निर्माण में जल्दबाजी के कारण मानकों से समझौता किए जाने की आशंका जताई जा रही है।
भूकंप से भारी तबाही
इस भूकंप का सबसे ज्यादा असर म्यांमार में पड़ा है, जहां अब तक 2000 से अधिक लोग मारे गए हैं और 4000 लोग घायल हैं। देश के कई इलाकों में आपातकाल घोषित कर दिया गया है और अस्पताल घायलों से भरे हुए हैं। मांडले जैसे प्रमुख शहरों में इमारतें तबाह हो गई हैं और बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान पहुंचा है।
भारत ने भेजी मदद
इस विनाशकारी भूकंप के बाद भारत ने म्यांमार को राहत सामग्री भेजी है। भारत ने पांच सैन्य विमानों के जरिए दवाएं, चिकित्सा उपकरण और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) की 80 सदस्यीय टीम भेजी है। तीन C-130J और दो C-17 ग्लोबमास्टर विमानों के जरिए राहत और बचाव कार्य में तेजी लाई जा रही है।
इस घटना के बाद थाईलैंड में इमारत निर्माण को लेकर सख्त जांच की मांग की जा रही है। क्या यह हादसा महज एक प्राकृतिक आपदा थी या फिर इसमें भ्रष्टाचार और सुरक्षा मानकों की अनदेखी ने भी बड़ी भूमिका निभाई? यह आने वाली जांच से साफ हो सकेगा।
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