आर्थिक विकास के लिए आयकर दरों में कटौती की मांग, उद्योग जगत की वित्त मंत्री से अपील

वित्तीय वर्ष 2025-26 के आम बजट में उद्योग जगत ने व्यक्तिगत आयकर की दरों में 20 लाख रुपये तक की कमी करने की मांग की है। उद्योग जगत का कहना है कि अधिक आयकर दरों के कारण निम्न और मध्य आय वर्ग से आने वाले लोगों की क्रय शक्ति प्रभावित हो रही है। उनका मानना है कि आर्थिक विकास की गति को बढ़ाने के लिए ऐसे उपायों की आवश्यकता है, जो लोगों की खरीदारी करने की क्षमता को बढ़ावा दें।

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को उद्योग और सामाजिक क्षेत्र के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की, जिसमें कई औद्योगिक संगठनों ने आयकर दरों में कमी करने का मुद्दा उठाया। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने कहा कि व्यक्तियों के लिए उच्चतम सीमांत कर दर और सामान्य कॉरपोरेट कर दर के बीच का अंतर बहुत अधिक है। कॉरपोरेट पर कर दर कम है, जबकि व्यक्तिगत आयकर दर ज्यादा है। ऐसे में महंगाई के चलते निम्न और मध्य आय वर्ग से आने वाले लोगों की क्रय शक्ति पर असर पड़ा है।

सीआईआई के अध्यक्ष संजीव पुरी ने बताया कि भारत की अर्थव्यवस्था अच्छा प्रदर्शन कर रही है, लेकिन वैश्विक स्तर पर कई चुनौतियां हैं, जिनका हमें सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने चीन द्वारा भारत और अन्य देशों में उत्पादों के अधिक आयात और जलवायु संकट को लेकर चिंता जताई, जिनका खाद्य सुरक्षा और महंगाई दर पर असर पड़ रहा है।

वहीं, पीएचडीसीसीआई के अध्यक्ष हेमंत जैन ने सरकार को व्यक्तिगत आयकर दरों में कमी करने का सुझाव दिया। उनका कहना था कि इससे लोगों के पास ज्यादा पैसा होगा, जिससे मांग बढ़ेगी और महंगाई कम होगी। इसके साथ ही, उन्होंने जीएसटी को सरल बनाने का भी सुझाव दिया।

इसके अलावा, सीआईआई ने पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क कम करने का भी सुझाव दिया। महंगाई को नियंत्रित करने के लिए पेट्रोल और डीजल के उत्पाद शुल्क में कटौती की जाए, ताकि कीमतें घटें और महंगाई में राहत मिले।

सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा कि घरेलू खपत भारत की विकास यात्रा के लिए अहम रही है, लेकिन महंगाई के दबाव ने उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति को कम कर दिया है। सूत्रों के अनुसार, उद्योग जगत ने सरकार से पीएम-किसान योजना के तहत वार्षिक भुगतान बढ़ाकर आठ हजार रुपये करने, क्रेडिट गारंटी स्कीम का विस्तार करने, ग्रामीण औद्योगिक पार्कों की स्थापना, राजकोषीय घाटे को कम करने और राष्ट्रीय स्तर पर न्यूनतम वेतन निर्धारित करने के लिए कई सुझाव दिए।

वहीं, फिक्की के उपाध्यक्ष विजय शंकर ने बताया कि बैठक में वित्त मंत्री के सामने मांग को बढ़ावा देने के लिए कई उपायों पर चर्चा की गई। एसोचैम के अध्यक्ष संजय नायर ने एमएसएमई के लिए प्रक्रियाओं को सरल बनाने, ऋण प्रवाह बढ़ाने और टीडीएस जैसे मुद्दों पर युक्तिकरण का सुझाव दिया।

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