दिल्ली की एक अदालत ने वरिष्ठ कांग्रेस नेता कमलनाथ के भांजे रतुल पुरी से जुड़े 354 करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी से संबंधित कथित धनशोधन के मामले में एक आरोपी को बरी कर दिया है।
विशेष न्यायाधीश संजीव अग्रवाल ने कहा कि आरोपी के खिलाफ कानूनी रूप से स्वीकार्य रत्ती भर भी साक्ष्य नहीं है। उन्होंने बैंक ऑफ सिंगापुर के पूर्व अधिकारी और माल्टा के नागरिक नितिन भटनागर के खिलाफ आरोपों को वापस ले लिया।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आरोप लगाया था कि भटनागर इस मामले में रतुल पुरी के लिए अपराध से अर्जित धन को रखने में शामिल था।
न्यायमूर्ति अग्रवाल ने शनिवार को पारित आदेश में कहा, ”यह नहीं कहा जा सकता कि आरोपी ने अपराध किया है। यानी अभियोजन पक्ष इस आरोपी के खिलाफ आरोप तय करने के लिए प्रथम दृष्टया मामला बनाने में विफल रहा है, जिसके लिए अभियोजन शिकायत दर्ज करके उस पर मुकदमा चलाया जा रहा था।”
पीठ ने भटनागर की ओर से पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता विकास पाहवा की इन दलीलों को स्वीकार कर लिया कि आरोपी के धनशोधन करने के बारे में कोई संदेह पैदा नहीं हुआ।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पिछले साल 22 अगस्त को भटनागर को धनशोधन रोकथाम अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया था।
धनशोधन का मामला केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की अगस्त, 2019 की प्राथमिकी पर आधारित है, जिसमें आरोप लगाया गया था कि कंपनी मोजर बेयर इंडिया लिमिटेड (एमबीआईएल) और उसके प्रवर्तकों ने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया से लिए गए 354.51 करोड़ रुपये के कर्ज में कथित तौर पर धोखाधड़ी की।
बैंक द्वारा सीबीआई को शिकायत भेजे जाने के बाद मामला दर्ज किया गया था।
सीबीआई और ईडी दोनों ने रतुल पुरी, उनके पिता दीपक पुरी, मां नीता (कमलनाथ की बहन) के खिलाफ मामला दर्ज किया था। रतुल पुरी को इस मामले में ईडी ने 2019 में गिरफ्तार किया था और अब वह जमानत पर बाहर हैं।
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