शादी के बाद जब कोई कपल परिवार शुरू करने की सोचता है, तो सबसे पहला सवाल होता है – क्या हम बच्चे को एक बेहतर जीवन दे पाएंगे?
आज के दौर में भारत में प्रजनन दर (Fertility Rate) में गिरावट इसी सवाल का नतीजा बनती जा रही है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण है – आर्थिक असुरक्षा और बढ़ती जिम्मेदारियाँ।
संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) की ताज़ा रिपोर्ट “द रियल फर्टिलिटी क्राइसिस” में यह स्पष्ट रूप से सामने आया है कि भारत में बड़ी संख्या में लोग वित्तीय समस्याओं की वजह से परिवार बढ़ाने से बच रहे हैं।
💸 क्यों परिवार नहीं बढ़ा पा रहे लोग?
यूएन की इस स्टडी में 14 देशों के 14,000 लोगों से बात की गई, जिनमें से 1,048 प्रतिभागी भारत से थे।
भारत में 38% उत्तरदाताओं ने साफ कहा कि आर्थिक सीमाएं उन्हें मनचाहा परिवार बनाने से रोक रही हैं।
मुख्य कारणों में शामिल हैं:
👷♂️ नौकरी की असुरक्षा – 21%
🏠 अपना घर न होना – 22%
👶 चाइल्ड केयर की कमी – 18%
🏥 स्वास्थ्य समस्याएं और मेडिकल सुविधाओं की पहुंच – 13-15%
🏡 “घर नहीं तो परिवार नहीं” – सबसे बड़ी चिंता
रिपोर्ट में सबसे प्रमुख चिंता के रूप में यह बात सामने आई कि 22% लोग इसलिए फैमिली प्लानिंग नहीं कर पा रहे क्योंकि उनके पास खुद का घर नहीं है।
आज की पीढ़ी बढ़ती महंगाई, नौकरी की अनिश्चितता और महंगे मेडिकल खर्चों के कारण बच्चा पालने के जोखिम से बच रही है।
👩👧 “बच्चे के लिए समाज भी तैयार नहीं”
19% उत्तरदाताओं ने कहा, उनके साथी या परिवार ज़्यादा बच्चे नहीं चाहते।
कुछ लोगों ने कहा कि जलवायु परिवर्तन, राजनीतिक अस्थिरता और सामाजिक तनाव जैसे कारक भी उनके निर्णय को प्रभावित कर रहे हैं।
📉 घटती फर्टिलिटी दर: एक बढ़ता संकट
यूएनएफपीए ने चेतावनी दी है कि यह सिर्फ एक आंकड़ा नहीं, बल्कि भविष्य की जनसांख्यिकीय चुनौती है।
अगर यही रुख जारी रहा, तो जल्द ही बुजुर्ग आबादी बढ़ेगी और युवाओं की संख्या घटती जाएगी, जिससे आर्थिक और सामाजिक संतुलन बिगड़ सकता है।
📊 कहां प्रजनन दर ज़्यादा, कहां कम?
उच्च प्रजनन दर वाले राज्य: बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश
कम प्रजनन दर वाले राज्य: दिल्ली, केरल, तमिलनाडु
कम फर्टिलिटी वाले राज्यों में प्रजनन दर प्रतिस्थापन दर (replacement rate) से नीचे है, जो आने वाले समय में जनसंख्या संतुलन को चुनौती दे सकता है।
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