कॉनवेंट स्कूल अब छात्रों पर ईसाई परम्पराएं नहीं थोप सकेंगे। इसके लिए कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया (CBCI) की ओर से एक गाइडलाइन जारी की गई है, जिसमें कहा गया है कि कॉन्वेंट स्कूलों में पढ़ने वाले अन्य रिलिजन के बच्चों पर ईसाई परंपराएं नहीं थोपी जाएंगी, सभी की आस्थाओं और परंपराओं का सम्मान किया जाएगा। CBCI ने यह निर्णय पिछले कुछ समय से कॉन्वेंट स्कूलों के विरोध में हो रहे प्रदर्शनों के बाद लिया है।
इन घटनाओं में एक मामला फरवरी में त्रिपुरा में एक कॉन्वेंट स्कूल टीचर द्वारा एक हिन्दू छात्र को कलावा पहनने से रोकने और उसे जब्त करने का है। फरवरी महीने में ही असम में हिन्दू समाज ने राज्य के ईसाई स्कूलों में प्रीस्ट और ननों द्वारा ईसाई प्रतीकों और चिन्हों को पहनने का विरोध किया था।
इन स्कूलों में तिलक लगाने, कलावा पहनने आदि से रोकने के मामले नए नहीं हैं। यहां अन्य रिलिजन का रोई त्योहार भले ही न मनाया जाए, लेकिन गुड फ्राइडे और क्रिसमस का आयोजन अवश्य होता है। बैंगलोर के क्राइस्ट कॉलेज में तो दिवाली की छुट्टी तक नहीं होती, मनाया जाना तो दूर की बात है।
CBCI के राष्ट्रीय सचिव फादर मारिया चार्ल्स ने बताया कि इन दिनों उभर रही राजनीतिक और सामाजिक स्थिति को देखते हुए, हमें कैथोलिक स्कूलों के रूप में और अधिक संवेदनशील होने की आवश्यकता है। उल्लेखनीय है कि कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया (CBCI) के अंतर्गत लगभग 14 हजार स्कूल, 650 कॉलेज, 7 यूनिवर्सिटी, 5 मेडिकल कॉलेज और 450 तकनीकी और व्यावसायिक संस्थान आते हैं।
क्या हैं 13 पन्नों की नई गाइडलाइंस के प्रमुख अंश?
CBCI के अनुसार नई गाइडलाइन्स का उद्देश्य बच्चों को सभी धर्मों के प्रति आदर भाव सिखाना है। साथ ही, छात्र भारतीय संविधान का प्रीएम्बल प्रत्येक दिन पढ़ेंगे।
स्कूलों को बच्चों की स्पिरिचुअल और मोरल ग्रोथ पर भी काम करना होगा।
मेंटल हेल्थ और स्टूडेंट्स के अच्छे स्वास्थ्य के लिए स्कूलों में काउंसलिंग सर्विस, हेल्थ केयर सुविधाएं और अवेयरनेस प्रोग्राम आयोजित किए जायेंगे।
स्कूलों में कुछ प्रमुख भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों, वैज्ञानिकों, कवियों, राष्ट्रीय नेताओं की तस्वीरें स्कूल की लॉबी, लाइब्रेरी आदि में लगाए जायेंगे।
परिसर में एक अलग ‘अंतर-धार्मिक प्रार्थना कक्ष’ या सर्वधर्म प्रार्थनालय रखने को निर्देशित किया गया है।