दो हफ्ते में थायराइड को कंट्रोल करें मुलेठी और धनिए से, जानें आयुर्वेदिक उपाय

थायराइड की समस्या आजकल कई लोगों में बढ़ती जा रही है, चाहे वह हाइपोथायरायडिज़्म हो या हाइपरथायरायडिज़्म। थायराइड ग्लैंड शरीर के मेटाबोलिज़्म को नियंत्रित करता है, और जब यह सही से काम नहीं करता, तो इसका असर पूरे शरीर पर पड़ता है। आयुर्वेद में कई प्राकृतिक उपाय हैं, जिनसे थायराइड को नियंत्रित किया जा सकता है। इनमें से मुलेठी और हरा धनिया विशेष रूप से प्रभावी माने जाते हैं। आइए जानते हैं इन आयुर्वेदिक उपायों के बारे में और कैसे आप इन्हें अपने जीवन में शामिल कर सकते हैं।

1. मुलेठी (Liquorice) का प्रभावी उपयोग

मुलेठी आयुर्वेद में एक बहुत ही महत्वपूर्ण औषधि है, जो शरीर के अंदर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने, हार्मोनल असंतुलन को दूर करने और थायराइड के प्रभाव को नियंत्रित करने में मदद करती है। मुलेठी में एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो थायराइड की कार्यप्रणाली को सुधारने में सहायक होते हैं।

उपयोग का तरीका:

  • मुलेठी का चूर्ण रोज़ सुबह एक छोटे चम्मच की मात्रा में गर्म पानी के साथ लें।
  • आप मुलेठी की जड़ का पाउडर भी शहद के साथ मिला सकते हैं और सेवन कर सकते हैं।

ध्यान रखें: मुलेठी का सेवन सीमित मात्रा में ही करें, क्योंकि इसका अत्यधिक सेवन शरीर में सोडियम के स्तर को प्रभावित कर सकता है।

2. हरा धनिया (Coriander) का प्रभाव

हरा धनिया एक सामान्य मसाला है, जो न केवल खाने में स्वाद बढ़ाता है, बल्कि थायराइड की समस्या को नियंत्रित करने में भी सहायक है। हरा धनिया शरीर में पाचन क्रिया को बढ़ाता है और हार्मोनल असंतुलन को ठीक करने में मदद करता है। इसमें कैल्शियम, आयरन और अन्य महत्वपूर्ण पोषक तत्व होते हैं जो थायराइड ग्रंथि की कार्यप्रणाली को सुधार सकते हैं।

उपयोग का तरीका:

  • हरे धनिये के पत्तों का रस निकालकर उसे रोज़ सुबह खाली पेट पिएं।
  • हरे धनिये को अपने सलाद, सूप या किसी भी खाने में शामिल करें।

3. मुलेठी और हरे धनिये का संयोजन

अगर आप दोनों ही उपायों का एक साथ उपयोग करें, तो यह आपके थायराइड को जल्दी कंट्रोल करने में मदद कर सकता है। मुलेठी और हरे धनिये का संयोजन शरीर के अंदर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने, हार्मोनल असंतुलन को दूर करने और थायराइड ग्रंथि को संतुलित करने में मदद करता है।

उपयोग का तरीका:

  • हरे धनिये के पत्तों का रस और मुलेठी का पाउडर एक साथ मिला कर सेवन करें।
  • यह उपाय दो हफ्ते तक रोज़ करने से थायराइड की समस्या में फर्क आ सकता है।

4. जीवनशैली में बदलाव

आयुर्वेदिक उपायों के अलावा, थायराइड को नियंत्रित करने के लिए सही जीवनशैली अपनाना भी जरूरी है। नियमित रूप से हल्का व्यायाम, सही आहार, तनाव कम करने के उपाय और पर्याप्त नींद थायराइड के नियंत्रण में मदद करती है।

मुलेठी और हरा धनिया दोनों ही आयुर्वेद में बहुत प्रभावी औषधियां हैं, जो थायराइड को नियंत्रित करने में सहायक हो सकती हैं। इनका सही तरीके से उपयोग करने से दो हफ्ते में थायराइड के प्रभाव में कमी देखी जा सकती है। हालांकि, अगर आपकी समस्या गंभीर है, तो डॉक्टर से परामर्श लेना जरूरी है। इन प्राकृतिक उपायों को अपनी दिनचर्या में शामिल करके आप थायराइड को नियंत्रित करने में सफलता पा सकते हैं।