अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने कार्यकाल के दौरान कई विवादास्पद फैसले लिए, जिनमें प्रवासियों को वापस भेजने और टैरिफ बढ़ाने का मुद्दा खासा चर्चा में रहा। ट्रंप ने कनाडा, मेक्सिको, भारत समेत कई देशों के प्रवासियों को वापस भेजने की मुहिम चलाई। जहां कनाडा और मेक्सिको ने इस पर सिर्फ बयानबाजी की, वहीं कोलंबिया के राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो ने ट्रंप को उनकी ही भाषा में करारा जवाब दिया।
प्रवासियों पर ट्रंप की कार्रवाई और कोलंबिया का जवाब
ट्रंप ने कोलंबिया के अवैध प्रवासियों को एक अमेरिकी प्लेन में भरकर वापस भेजा। लेकिन राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो ने इस प्लेन को देश में लैंड करने से मना कर दिया और उसे वापस अमेरिका भेज दिया।
पेट्रो के इस साहसिक कदम से ट्रंप आगबबूला हो गए और कोलंबिया से अमेरिका आने वाले सामान पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी।
पेट्रो ने दिया कड़ा जवाब
पेट्रो ने अमेरिका के कदम का विरोध करते हुए कहा कि, “हमारी नागरिकों की वापसी सम्मानजनक तरीके से होनी चाहिए। ट्रंप ने सम्मानजनक प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया। हम अपनी ओर से प्लेन भेजेंगे।”
इसके साथ ही उन्होंने अमेरिका से आने वाले सामान पर भी टैरिफ बढ़ाने का ऐलान कर दिया।
व्हाइट हाउस का दावा: कोलंबिया ने मानी शर्तें
रविवार रात व्हाइट हाउस ने एक बयान जारी करते हुए दावा किया कि कोलंबिया ने ट्रंप की शर्तों को मान लिया है।
कोलंबिया ने प्रवासियों की वापसी के लिए सहमति दे दी है।
अमेरिका ने कोलंबिया पर लगने वाले टैरिफ को अस्थायी रूप से होल्ड कर दिया है।
कोलंबिया की कंपनियों को पेट्रो का समर्थन
पेट्रो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा,
“हमारी सरकार अमेरिकी टैरिफ का जवाब देने के लिए कोलंबियाई कंपनियों की मदद करेगी। इसके साथ ही हमारी कंपनियां अमेरिका पर अपनी निर्भरता को कम करेंगी।”
गुस्तावो पेट्रो: एक साहसी नेता
गुस्तावो पेट्रो कोलंबिया के पहले लेफ्टिस्ट राष्ट्रपति हैं, जिन्होंने 2022 में सत्ता संभाली।
वह अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ और एम-19 गुरिल्ला आंदोलन के पूर्व सदस्य हैं।
पेट्रो, अमेरिका और पश्चिमी देशों की नीतियों के कट्टर आलोचक रहे हैं।
उन्होंने फिलिस्तीन मुद्दे पर इजराइल का भी कड़ा विरोध किया है।
ट्रंप को उनकी भाषा में जवाब
पेट्रो ने अपने साहसिक कदमों से यह संदेश दिया है कि कोलंबिया सिर्फ बयानबाजी तक सीमित नहीं रहेगा। वह ट्रंप की हर कार्रवाई का सख्त और समान जवाब देगा। उनके इस रवैये से यह साफ हो गया है कि पेट्रो की नीतियां भविष्य में भी पश्चिमी देशों से टकराव का कारण बन सकती हैं।
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