आजकल की तेज़-तर्रार लाइफस्टाइल और बदलते कामकाजी माहौल ने लोगों की सेहत पर असर डालना शुरू कर दिया है। बढ़ता हुआ वर्क प्रेशर और बदलते कार्य संस्कृति के कारण, फिजिकल और मेंटल हेल्थ पर भी नकारात्मक असर दिखने लगा है। साथ ही, अनहेल्दी डाइट भी कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन रही है। माइग्रेन का दर्द इन्हीं समस्याओं में से एक है, जिससे अधिकतर लोग प्रभावित हो रहे हैं।
माइग्रेन एक प्रकार का सिरदर्द है, जो आमतौर पर उल्टी, मितली और रोशनी के प्रति अत्यधिक सेंसिटिविटी के साथ होता है। इसका कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन लाइफस्टाइल में बदलाव और कुछ दवाइयों के माध्यम से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। इसके अलावा, कुछ एक्सरसाइज भी हैं, जो माइग्रेन के दर्द को काफी हद तक कम कर सकती हैं।
माइग्रेन को ट्रिगर करने के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें से 5 प्रमुख कारण हैं:
तनाव (Stress)
मेंटल या इमोशनल तनाव माइग्रेन का एक सामान्य कारण हो सकता है। जब हम तनाव में होते हैं, तो शरीर में तनाव हार्मोन रिलीज होते हैं, जो माइग्रेन को बढ़ा सकते हैं। इसलिए मानसिक शांति बनाए रखना बहुत जरूरी है।
खान-पान (Diet)
कुछ खाद्य पदार्थ और पेय पदार्थ माइग्रेन को बढ़ा सकते हैं। जैसे चॉकलेट, चीज, रेड वाइन, कैफीन और प्रोसेस्ड फूड्स। इन्हें सीमित मात्रा में ही खाना चाहिए।
पर्यावरणीय कारक (Environmental Factors)
तेज रोशनी, शोर, तेज गंध, मौसम में बदलाव या अत्यधिक तापमान भी माइग्रेन को ट्रिगर कर सकते हैं। इन पर्यावरणीय कारकों से बचने की कोशिश करें।
नींद की गड़बड़ी (Sleep Disturbances)
अच्छी और भरपूर नींद न मिलना, या नींद का नियमित पैटर्न न होना माइग्रेन का कारण बन सकता है। न तो बहुत ज्यादा सोना चाहिए और न ही कम सोना।
हार्मोनल परिवर्तन (Hormonal Changes)
महिलाओं में मासिक धर्म, गर्भावस्था या मेनोपॉज के दौरान हार्मोनल बदलाव माइग्रेन को ट्रिगर कर सकते हैं। एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर बढ़ने या घटने से भी माइग्रेन की संभावना बढ़ सकती है।
इनके अलावा भी कुछ और कारण हो सकते हैं जो माइग्रेन को बढ़ावा दे सकते हैं। इसलिए यदि आप माइग्रेन के दर्द से जूझ रहे हैं, तो इसे नजरअंदाज न करें और इसके कारणों को जानने की कोशिश करें।
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