कैंसर की जांच अब आसान: फिंगर क्लबिंग टेस्ट से पहचानें फेफड़ों का कैंसर

अब कैंसर की प्रारंभिक जांच और भी आसान हो गई है। एक कैंसर रिसर्च संस्था ने दावा किया है कि फेफड़ों के कैंसर के शुरुआती लक्षणों की पहचान अब एक सरल फिंगर क्लबिंग टेस्ट से हो सकती है। यह टेस्ट फेफड़ों के कैंसर के शुरुआती लक्षणों को पहचानने में मददगार हो सकता है।

फिंगर क्लबिंग या डिजिट क्लबिंग तब होती है जब उंगलियों या पैर की उंगलियों के नाखूनों के नीचे का टिश्यू मोटा हो जाता है और नाखून ऊपर की ओर मुड़ने लगते हैं। यह अक्सर शरीर में ऑक्सीजन की कमी या पुरानी बीमारी का संकेत होता है।

क्लबिंग टेस्ट (Schamroth’s Window Test) कैसे करें:
उंगलियों को मिलाएं
दोनों हाथों की तर्जनी उंगलियों को आपस में मिलाकर देखें।

डायमंड-शेप्ड स्पेस देखें
नाखूनों के बीच एक छोटा सा डायमंड-शेप्ड स्पेस होना चाहिए। अगर यह स्पेस दिखाई देता है, तो क्लबिंग नहीं है।

स्पेस गायब होना
यदि नाखूनों के बीच यह स्पेस गायब हो और उंगलियां पूरी तरह से एक-दूसरे से सटी हुई हों, तो यह क्लबिंग का संकेत हो सकता है।

क्लबिंग के अन्य लक्षण:
उंगलियों के सिरों का बड़ा और गोल हो जाना

नाखून का मोटा हो जाना और ऊपर की ओर मुड़ना

नाखून और त्वचा के बीच का कोण 180 डिग्री या उससे अधिक हो जाना

क्लबिंग सिर्फ फेफड़ों के कैंसर का संकेत नहीं है, बल्कि यह अन्य गंभीर फेफड़ों की बीमारियों, जैसे कि क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD), फेफड़ों का फाइब्रोसिस, या हृदय रोगों का भी संकेत हो सकता है।

यदि आपको या आपके किसी परिचित को क्लबिंग के लक्षण दिखें, तो चिकित्सक से तुरंत परामर्श लें। चिकित्सक आवश्यक परीक्षण और निदान के माध्यम से सही कारण की पहचान करेंगे।

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