भारत में मोटापा एक गंभीर समस्या बन चुका है, जो कई अन्य बीमारियों का कारण बन रहा है। पहले मोटापे को सिर्फ बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स) के आधार पर मापा जाता था, लेकिन अब इसे नए सिरे से परिभाषित किया गया है। नेशनल डायबिटीज ओबेसिटी एंड कोलेस्ट्रॉल फाउंडेशन (N-DOC), फोर्टिस अस्पताल (C-DOC), और एम्स दिल्ली के विशेषज्ञों ने मिलकर मोटापे की परिभाषा में बदलाव किया है। इस शोध को ब्रिटिश मेडिकल जर्नल The Lancet Diabetes & Endocrinology में प्रकाशित किया गया है।
मोटापे की नई परिभाषा:
नई स्टडी के अनुसार, मोटापे को अब दो चरणों में बांटा गया है।
पहला चरण: इनोसियस ओबेसिटी (साधारण मोटापा)
बीएमआई > 23 किग्रा/वर्ग मीटर।
इस चरण में मोटापा शरीर पर दिखता है, लेकिन इससे रोजमर्रा की गतिविधियों पर खास असर नहीं पड़ता। हालांकि, समय पर इसे नियंत्रित न करने पर यह गंभीर हो सकता है।
दूसरा चरण: ओबेसिटी विद कंसिक्वेंसेज (परिणाम देने वाला मोटापा)
इसमें मोटापा सिर्फ शरीर पर दिखने तक सीमित नहीं रहता, बल्कि शरीर के अन्य अंग भी बेडोल हो जाते हैं, जैसे कमर-छाती का अधिक चौड़ा होना।
इस चरण में डायबिटीज, हृदय रोग, और अन्य बीमारियों का खतरा काफी बढ़ जाता है।
पहले कैसे परिभाषित होता था मोटापा?
2009 में मोटापे की परिभाषा सिर्फ बीएमआई पर आधारित थी। यदि किसी व्यक्ति का बीएमआई 23 से अधिक होता था, तो उसे मोटा माना जाता था। हालांकि, बीएमआई आधारित परिभाषा से मोटापे से होने वाली अन्य बीमारियों का सटीक पता लगाना मुश्किल था। नई स्टडी में पेट के आसपास जमा चर्बी को भी मोटापे का अहम कारक माना गया है, जिससे बीमारियों की पहचान और इलाज बेहतर ढंग से किया जा सकेगा।
स्टडी का फोकस और नई जानकारी:
नई स्टडी में 2022 से 2023 के बीच युवा, बुजुर्ग, और महिलाओं पर शोध किया गया।
पेट के आसपास की चर्बी (एब्डोमिनल ओबेसिटी) को बीमारियों का बड़ा कारण बताया गया है।
स्टडी के जरिए यह पता चला कि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में मोटापे के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।
मोटापे की नई परिभाषा का महत्व:
अब सिर्फ बीएमआई नहीं, बल्कि पेट के आसपास की चर्बी को भी ध्यान में रखा जाएगा।
इससे डायबिटीज, हार्ट डिजीज, और अन्य गंभीर बीमारियों का जल्द पता लग सकेगा।
यह स्टडी वजन घटाने और मोटापे से जुड़ी समस्याओं को नियंत्रित करने में सहायक होगी।
एक्सपर्ट्स का नजरिया:
विशेषज्ञों का कहना है कि यह बदलाव मौजूदा समय में बेहद जरूरी था। भारत में मोटापा अब केवल शहरी क्षेत्रों तक सीमित नहीं है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी तेजी से बढ़ रहा है। इस नई परिभाषा से मोटापे से संबंधित बीमारियों का सही उपचार और प्रबंधन संभव हो सकेगा।
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