छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में बड़ा एक्शन – भूपेश बघेल के ठिकानों पर ED की छापेमारी

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने सोमवार को छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके बेटे चैतन्य बघेल से जुड़े ठिकानों पर छापेमारी की। यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग और कथित 2,100 करोड़ रुपये के शराब घोटाले के सिलसिले में की गई।

ईडी ने भिलाई में चैतन्य बघेल के ठिकानों समेत राज्य के कई अन्य स्थानों पर छापे मारे। धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत यह कार्रवाई सुबह-सुबह की गई।

बघेल का पलटवार – “ED के मेहमान आए हैं”
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस कार्रवाई को राजनीतिक साजिश करार दिया। उनके कार्यालय से ट्वीट कर कहा गया –

📌 “सात साल से चले आ रहे झूठे केस को जब अदालत ने खारिज कर दिया, तो अब ED भेजी गई है।”
📌 “अगर इस षड्यंत्र से कांग्रेस को रोकने की कोशिश हो रही है, तो यह गलतफहमी है।”

क्या है 2,100 करोड़ का शराब घोटाला?
ईडी के अनुसार, छत्तीसगढ़ शराब घोटाले से राज्य के खजाने को भारी नुकसान हुआ। आरोप है कि शराब सिंडिकेट ने 2019-23 के दौरान अवैध रूप से 2,100 करोड़ रुपये की हेराफेरी की।

ईडी की जांच में पाया गया कि IAS अधिकारी अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी एपी त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर ने मिलकर इस घोटाले को अंजाम दिया।

📌 “सरकारी शराब दुकानों से अवैध रूप से पैसा कमाया गया और रिश्वत के रूप में डिस्टिलर्स से मोटी रकम वसूली गई।”
📌 “इस घोटाले में कई सरकारी अधिकारी और व्यापारी पहले ही गिरफ्तार हो चुके हैं।”

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2023 में इस मामले में अनिल टुटेजा और उनके बेटे के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग केस को खारिज कर दिया था, यह कहते हुए कि इसमें अपराध की कोई आय नहीं थी।

राजनीति या घोटाले पर सख्ती?
क्या यह कार्रवाई भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के लिए की गई है, या फिर इसे राजनीतिक प्रतिशोध माना जाए?
जहां ईडी इसे बड़ी मनी लॉन्ड्रिंग की जांच बता रही है, वहीं कांग्रेस इसे केंद्र सरकार की साजिश करार दे रही है।

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