आज के डिजिटल युग में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद से नकली (फेक) वीडियो बनाना बेहद आसान हो गया है। ये डीपफेक (Deepfake) वीडियो किसी व्यक्ति की आवाज़ और चेहरे के हावभाव को हूबहू नकल कर सकते हैं, जिससे असली और नकली वीडियो में फर्क करना मुश्किल हो जाता है। लेकिन अगर आप सतर्क रहें, तो इनकी पहचान करना संभव है। आइए जानते हैं फेक AI वीडियो की पहचान करने के कुछ आसान तरीके।
1️⃣ चेहरे के हावभाव और होंठों की हरकत पर दें ध्यान
✅ डीपफेक वीडियो में चेहरे के भाव असामान्य या अप्राकृतिक लग सकते हैं।
✅ बोलते समय होंठों की हरकत और आवाज़ में तालमेल नहीं बैठता।
2️⃣ पलक झपकाने और आंखों की गति पर नजर रखें
✅ डीपफेक वीडियो में आंखें कम झपकती हैं या कभी-कभी बिल्कुल भी नहीं झपकतीं।
✅ आंखों की चमक और फोकस असली व्यक्ति की तुलना में अलग हो सकता है।
3️⃣ बैकग्राउंड और छायाओं को ध्यान से देखें
✅ रोशनी का प्रभाव असली नहीं लगता और छायाएं अजीब तरीके से बदलती हैं।
✅ बैकग्राउंड और व्यक्ति के बीच ब्लर इफेक्ट या हल्की विकृति (Distortion) देखी जा सकती है।
4️⃣ आवाज की गुणवत्ता और उच्चारण को समझें
✅ फेक वीडियो में आवाज को AI टूल्स से मॉडिफाई किया जाता है, जिससे इसमें रोबोटिक टोन आ सकता है।
✅ कुछ शब्दों का उच्चारण गलत हो सकता है या वीडियो के साथ सिंक नहीं हो सकता।
5️⃣ वीडियो के स्रोत और विश्वसनीयता की जांच करें
✅ अगर कोई वायरल वीडियो चौंकाने वाला या विवादास्पद लगता है, तो उसे ऑफिशियल न्यूज चैनलों या विश्वसनीय वेबसाइट्स पर पुष्टि करें।
✅ रिवर्स इमेज सर्च या वीडियो फ्रेम एनालिसिस की मदद से इसकी असलीयत का पता लगाया जा सकता है।
6️⃣ स्पेशल डीपफेक डिटेक्शन टूल्स का उपयोग करें
अगर आपको किसी वीडियो की सत्यता पर संदेह है, तो आप इन डीपफेक डिटेक्शन टूल्स का उपयोग कर सकते हैं:
🔹 Deepware Scanner
🔹 Microsoft Video Authenticator
🔹 Sensity AI
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