पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा झारखंड के साथ सीमा सील करने पर सियासत तेज हो गई है। बंगाल के नेता प्रतिपक्ष और बीजेपी विधायक सुवेंदु अधिकारी व असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की प्रतिक्रिया के बाद अब बंगाल के राज्यपाल डॉ. सीवी आनंद बोस ने भी मामले में संज्ञान लिया है। राज्यपाल बोस ने संविधान के अनुच्छेद 167 के तहत मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को यह बताने का निर्देश दिया है कि क्या सीमा सील करने की रिपोर्ट सही है और यदि हां, तो ऐसा करने का कारण बताएं।
राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने विशेषज्ञों की एक रिपोर्ट का हवाला देकर सीएम ममता बनर्जी को एक पत्र लिखा। जिसमें दावा किया गया था कि बांकुरा, बीरभूम और पश्चिम मेदिनीपुर जिले दामोदर घाटी नदी प्रणाली में नहीं आते हैं। कांगसबाती में अत्यधिक बारिश की स्थिति के कारण वहां बाढ़ आई थी। इस क्षेत्र में, डीवीसी संबंधित प्राधिकारी नहीं है।
एक अधिकारी के अनुसार, राज्यपाल ने पत्र में उल्लेख किया है कि बाढ़ कांगसबाती नदी पर (राज्य के स्वामित्व वाले) मुकुटमणिपुर बांध से भारी मात्रा में पानी छोड़े जाने के कारण भी आई, जिसने सुरक्षात्मक तटबंधों को तोड़ दिया है। विशेषज्ञों के अनुसार, कांगसबाती बांध, जिसका रखरखाव पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा किया जाता है, ने भी पानी छोड़ दिया था, जब वह इसे अधिक समय तक बरकरार नहीं रख सका, जो बांकुरा, पुरबा और पश्चिम मेदिनीपुर और हावड़ा जिलों में बाढ़ का मुख्य कारण था।
बता दें कि दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) की ओर से मैथन और पंचेत डैम से लगभग पांच लाख क्यूसेक पानी छोड़ने की वजह से पूर्व बर्धमान, पश्चिम बर्धमान, बीरभूम, बांकुड़ा, हावड़ा, हुगली, पूर्व मेदिनीपुर और पश्चिम मेदिनीपुर विनाशकारी बाढ़ का सामना कर रहे हैं। हालात को देखते हुए बंगाल सरकार ने झारखंड सीमा के डीबूडीह चेकपोस्ट (बंगाल क्षेत्र) पर बैरिकेडिंग कर मालवाहक वाहनों के प्रवेश पर तीन दिनों के लिए रोक लगा दी है। इस कारण बंगाल और झारखंड की सीमा पर करीब 20 किलोमीटर लंबी कतार लग गई।
बाढ़ के संबंध में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा। ममता ने मोदी को लिखे पत्र में कहा कि राज्य डीवीसी के साथ सभी संबंध तोड़ देगा, क्योंकि उसने एकतरफा पानी छोड़ा है, जिसके कारण दक्षिण बंगाल के कई जिलों में बाढ़ आ गई है। मोदी को लिखे पत्र में उन्होंने बाढ़ से हुई व्यापक तबाही से निपटने के लिए तत्काल केंद्रीय निधि जारी करने का भी अनुरोध किया।
‘2009 से बड़ी बाढ़ का सामना कर रहा दक्षिण बंगाल’
ममता ने पत्र में लिखा कि राज्य इस वक्त लोअर दामोदर और आसपास के इलाकों में 2009 के बाद सबसे बड़ी बाढ़ का सामना कर रहा है। मैं आपसे आग्रह करती हूं कि आप इस मामले पर गंभीरता से विचार करें और संबंधित मंत्रालयों को इन मुद्दों को सर्वोच्च प्राथमिकता के रूप में संबोधित करने का निर्देश दें। जिसमें सबसे अधिक पीड़ित लोगों के हित में व्यापक बाढ़ प्रबंधन कार्य करने के लिए पर्याप्त केंद्रीय निधियों की मंजूरी शामिल है।
ममता के बयान पर भड़के सुवेंदु अधिकारी
इस मामले को लेकर बंगाल के नेता प्रतिपक्ष और बीजेपी विधायक सुवेंदु अधिकारी ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधा। कहा कि, अगर उन्होंने दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) से संबंध तोड़ लिए तो दक्षिणी बंगाल के कई जिले अंधेरे में डूब जाएंगे। पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता ने सवाल उठाया कि क्या बनर्जी खुद को प्रधानमंत्री के समकक्ष मानती हैं, उन्होंने जोर देकर कहा कि उनका बयान देश की संघीय भावना को कमजोर करता है।
‘राज्य सरकार की विफलता की वजह से बंगाल के लोग बाढ़ से पीड़ित’
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने भी मामले को लेकर सोशल मीडिया मंच एक्स पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने कहा, ‘सरकार की विफलता की वजह से बंगाल के लोग बाढ़ से पीड़ित हैं। लेकिन मैं हैरान हूं कि ममता दीदी अपनी नाराजगी अपने अफसरों पर नहीं, बल्कि झारखंड की जनता पर निकाल रही हैं। वह राज्य की सीमा सील कर झारखंड की जनता को सबक सिखा रही हैं और झारखंड के माननीय मुख्यमंत्री मौन हैं।’