प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से महाराष्ट्र में 11, 200 करोड़ रुपये की कई परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। उन्होंने महाराष्ट्र में सोलापुर एयरपोर्ट का उद्घाटन भी किया। साथ ही डिस्ट्रिक्ट कोर्ट से स्वारगेट के बीच 1, 810 करोड़ रुपये की लागत वाली पुणे मेट्रो के भूमिगत खंड का उद्घाटन भी किया।
इस दौरान पीएम मोदी ने पिछली सरकारों पर निशाना साधते हुए कहा, “दुर्भाग्य से, पिछले दशकों में हमारे देश में शहरी विकास में योजना और दूरदर्शिता दोनों का अभाव था। अगर कोई चर्चा में आती थी तो उसकी फाइलें कई वर्षों तक अटकी रहती थी। अगर कोई योजना बन भी गई, तब भी परियोजनाएं सालों-साल अटकी रहती थी। उस पुराने वर्क कल्चर का बहुत बड़ा नुकसान हमारे देश, महाराष्ट्र और पुणे को हुआ। लापरवाही और उपेक्षा की इसी संस्कृति के कारण महाराष्ट्र और हमारे देश को नुकसान उठाना पड़ा।”
पीएम मोदी ने कहा कि 2016 से अबतक इन 7-8 सालों में पुणे मेट्रो का ये विस्तार, इतने रुटों पर काम की प्रगति और नए शिलान्यास, अगर पुरानी सोच और कार्यपद्धति पर होती है तो इनमें से कोई भी काम पूरे नहीं हो पाते। पिछली सरकार तो 8 साल में मेट्रो का एक पिलर भी खड़ा नहीं कर पाई थी। जबकि, हमारी सरकार ने पुणे में मेट्रो का आधुनिक नेटवर्क तैयार कर दिया है। मेट्रो से जुड़े प्रोजेक्ट हो, मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन हो या किसानों के लिए सिंचाई से जुड़े कई महत्वपूर्ण काम, डबल इंजन सरकार से पहले, महाराष्ट्र के विकास के लिए जरूरी ऐसे कितने ही प्रोजेक्ट डिरेल हो गए थे।
पीएम मोदी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि दो दिन पहले मुझे कई बड़ी परियोजनाओं के लोकार्पण और शिलान्यास के लिए पुणे आना था, लेकिन भारी बारिश के कारण मुझे कार्यक्रम रद्द करना पड़ा। इससे मेरा तो नुकसान हुआ ही क्योंकि पुणे के कण-कण में राष्ट्रभक्ति है, समाज भक्ति है। ऐसे पुणे में आना अपने आप में ऊर्जावान बना देता है, तो मेरा तो बड़ा नुकसान है कि मैं पुणे नहीं आ सका। लेकिन अब टेक्नोलॉजी के माध्यम से आप सभी का दर्शन करने का सौभाग्य मिला है।
उन्होंने कहा कि भारत की महान विभूतियों की प्रेरणाभूमि महाराष्ट्र विकास के नए अध्याय की साक्षी बन रही है। अभी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट से स्वारगेट सेक्शन रूट का लोकार्पण हुआ है। इस रूट पर भी अब मेट्रो शुरू हो जाएगी। स्वारगेट-कात्रज सेक्शन का शिलान्यास भी हुआ है। आज ही क्रांतिज्योति सावित्रीबाई फुले मेमोरियल की नींव भी रखी गई है। पुणे शहर में ईज ऑफ लिविंग बढ़ाने का हमारा जो सपना है, मुझे खुशी है कि हम उस दिशा में तेज गति से आगे बढ़ रहे हैं।
उन्होंने कहा कि आजादी के पहले, देश में जो सामाजिक हालात थे, जो गरीबी और भेदभाव था, उन हालातों में हमारी बेटियों के लिए शिक्षा बहुत मुश्किल थी। सावित्रीबाई फुले जैसी विभूतियों ने बेटियों के लिए बंद शिक्षा के दरवाजों को खोला। लेकिन आजादी के बाद भी देश उस पुरानी मानसिकता से पूरी तरह मुक्त नहीं हुआ। कितने ही क्षेत्रों में पिछली सरकारों ने महिलाओं की एंट्री बंद करके रखी थी। स्कूलों में शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाओं का अभाव था, जिसके कारण स्कूल होने के बाद भी स्कूलों के दरवाजे बेटियों के लिए बंद थे। जैसे ही बच्चियां थोड़ी बड़ी होती थीं, उन्हें स्कूल छोड़ना पड़ता था। सैनिक स्कूलों में बेटियों के एडमिशन पर रोक थी, सेना के अधिकतर कार्यक्षेत्रों में महिलाओं की नियुक्ति पर रोक थी, ऐसे ही कितनी ही महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान नौकरी छोड़नी पड़ती थी।
उन्होंने आगे कहा कि हमने पुरानी सरकारों की उन पुरानी मानसिकताओं को बदला, पुरानी व्यवस्थाओं को बदला। हमने स्वच्छ भारत अभियान चलाया। उसका सबसे बड़ा फायदा देश की बेटियों, माताओं और बहनों को मिला। उन्हें खुले में शौच से छुटकारा मिला। स्कूलों में बनाए गए शौचालय के कारण और बेटियों के लिए अलग शौचालय के कारण बेटियों के ड्रॉप आउट रेट कम हुए। हमने आर्मी स्कूल के साथ सेनाओं के तमाम पदों को महिलाओं के लिए खोल दिया। महिला सुरक्षा पर कड़े कानून बनाए। साथ ही नारी शक्ति वंदन अधिनियम के जरिए लोकतंत्र में महिलाओं के नेतृत्व की गारंटी भी दी है।
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