90 के दशक में पॉप म्यूजिक की दुनिया में तहलका मचाने वाले बाबा सहगल को भला कौन भूल सकता है? भारत के पहले रैपर कहे जाने वाले बाबा सहगल अपने अनोखे स्टाइल और हिट गानों के लिए जाने जाते हैं। लेकिन जब उनकी लोकप्रियता चरम पर थी, तभी वो अचानक बॉलीवुड से गायब हो गए। अब सालों बाद उन्होंने एक इंटरव्यू में खुद बताया है कि वह कहां थे और क्यों हिंदी म्यूज़िक इंडस्ट्री उनसे घबरा गई थी।
🎬 “बॉलीवुड मुझसे डरता था, लेकिन साउथ ने मुझे अपनाया” – बाबा सहगल
सिद्धार्थ कनन को दिए इंटरव्यू में बाबा सहगल ने खुलकर कहा कि साउथ की फिल्म इंडस्ट्री ने उन्हें सम्मान और पहचान दी, जो बॉलीवुड देने में नाकाम रही।
उनका कहना था, “तेलुगू फिल्म इंडस्ट्री मेरी जंगदाता है। मैंने 250 से ज्यादा तेलुगू गाने, 35-40 तमिल और 25 से अधिक कन्नड़ गाने गाए हैं। साउथ ने मुझे गंभीरता से लिया, लेकिन बॉलीवुड हमेशा मुझसे असुरक्षित महसूस करता था।”
🔫 1998 में मिली थी अंडरवर्ल्ड से धमकी
उन्होंने यह भी खुलासा किया कि 1998 में उन्हें अंडरवर्ल्ड से धमकियां मिली थीं, जिससे उनका करियर और निजी जीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ।
🎵 हिट गानों से असहज हुआ बॉलीवुड म्यूज़िक सर्कल
बाबा सहगल ने कहा कि हिंदी फिल्म म्यूज़िक इंडस्ट्री के कई म्यूज़िक डायरेक्टर्स उन्हें बुलाते तो थे, लेकिन उनकी खुली बातचीत और आत्मविश्वास से वो असहज हो जाते थे।
उनके सुपरहिट गाने ‘ठंडा ठंडा पानी’, ‘दिल ढ़ुंढता है’ और अन्य इंडीपॉप ट्रैक्स ने उन्हें घर-घर में मशहूर बना दिया था।
🎙️ जब ‘रुक्मणि रुक्मणि’ गाते हुए हुआ विवाद
उन्होंने 1992 में आई मणिरत्नम की फिल्म ‘रोजा’ के गाने ‘रुक्मणि रुक्मणि’ के हिंदी वर्जन का ज़िक्र करते हुए कहा कि उनका उस अनुभव से मन खट्टा हो गया था।
बाबा सहगल ने बताया, “मैं चेन्नई में शो कर रहा था, तभी एक असिस्टेंट डायरेक्टर ने मुझसे संपर्क किया और गाने के लिए कहा। मैंने बिना सोचे हां कह दिया। ए.आर. रहमान भी वहां मौजूद थे। बाद में मुझे एहसास हुआ कि ना रहमान और ना ही मणिरत्नम मुझे पसंद करते थे।”
🤯 “हिंदी लिरिक्स थे बेहद वाहियात”
जब उन्हें ‘रुक्मणि’ के हिंदी लिरिक्स दिए गए, तो वो चौंक गए। उन्होंने कहा, “लिरिक्स इतने घटिया और चीप थे कि मुझे समझ नहीं आया कि इन्हें किसने लिखा है। तमिल में सुनने में अच्छे लगते हैं, लेकिन हिंदी में उनका मतलब अजीब लगता है। शायद रहमान और मणिरत्नम को उनका अर्थ ही नहीं पता था।”
❌ “रहमान संग वो पहला और आखिरी गाना था”
बाबा सहगल ने साफ किया कि ‘रुक्मणि रुक्मणि’ रहमान के साथ उनका पहला और आखिरी गाना था।
भाषा की दूरी और विचारों का टकराव उनके बीच की दूरी को और बढ़ाता चला गया।
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