पीसीओडी यानी पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम आजकल बहुत आम समस्या बन गई है। आयुर्वेद में इस समस्या के लिए कई प्रभावी उपचार बताए गए हैं। आइए जानते हैं कि आयुर्वेद के अनुसार पीसीओडी को कैसे नियंत्रित किया जा सकता है।
आयुर्वेद में पीसीओडी के कारण
आयुर्वेद के अनुसार, पीसीओडी का मुख्य कारण वात और पित्त दोष का असंतुलन होता है। जब ये दोष असंतुलित हो जाते हैं तो हार्मोन में गड़बड़ी होती है और अंडाशय में सिस्ट बनने लगते हैं।
पीसीओडी के लिए आयुर्वेदिक उपचार
- आहार:
- हरी पत्तेदार सब्जियां, फल, दही और मेथी के बीजों का सेवन करें।
- तले हुए, मसालेदार और जंक फूड से परहेज करें।
- अधिक मात्रा में पानी पिएं।
- जड़ी-बूटियां:
- अश्वगंधा: यह हार्मोनल असंतुलन को ठीक करने में मदद करता है।
- शतावरी: यह रक्त शोधक है और हार्मोन को संतुलित करता है।
- गुड़मार: यह ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मदद करता है।
- त्रिफला: यह पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है और शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालता है।
- पंचकर्म:
- वमन, वीरसेन, और नस्य जैसे पंचकर्म उपचार पीसीओडी में बहुत फायदेमंद होते हैं।
- योग और व्यायाम:
- नियमित रूप से योग और व्यायाम करने से वजन कम होता है और हार्मोन संतुलित होते हैं।
घरेलू उपाय
- तुलसी का पानी: तुलसी का पानी पीने से हार्मोन संतुलित होते हैं और तनाव कम होता है।
- मेथी के बीज: मेथी के बीजों को रात भर पानी में भिगोकर सुबह खाली पेट खाने से ब्लड शुगर नियंत्रित होता है।
- अदरक: अदरक में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो पीसीओडी के लक्षणों को कम करने में मदद करते हैं।
कब लें डॉक्टर की सलाह
- यदि आपके लक्षण गंभीर हैं तो आयुर्वेदिक चिकित्सक से संपर्क करें।
- यदि आप गर्भवती हैं या स्तनपान करा रही हैं तो किसी भी जड़ी-बूटी का सेवन करने से पहले डॉक्टर से सलाह लें।
- यदि आपको किसी अन्य बीमारी का इलाज चल रहा है तो आयुर्वेदिक उपचार शुरू करने से पहले डॉक्टर से सलाह लें।
ध्यान दें:
- आयुर्वेदिक उपचार में समय लग सकता है।
- हर महिला के लिए उपचार अलग-अलग हो सकता है।
- आयुर्वेदिक उपचार के साथ-साथ आहार और जीवनशैली में बदलाव भी जरूरी है।
अस्वीकरण: यह जानकारी केवल सूचना के उद्देश्य से है और इसे किसी भी चिकित्सकीय सलाह के रूप में नहीं लेना चाहिए। किसी भी स्वास्थ्य समस्या के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।
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