एडब्लूएस एआई वर्कलोड से उत्पन्न कार्बन में कमी लाने में मदद कर सकता है

भारत एवं विश्व में संस्थानों द्वारा आईटी वर्कलोड को अपने इन्फ्रास्ट्रक्चर की बजाय एडब्लूएस क्लाउड डेटा सेंटर्स पर स्थानांतरित करके पर्यावरण पर उसके प्रभाव को असरदार तरीके से कम किया जा सकता है।

अमेज़न वेब सर्विसेज़ (एडब्लूएस) द्वारा स्वीकृत एवं एक्सेंचर द्वारा संचालित किए गए एक नए अध्ययन में सामने आया है कि एडब्लूएस ग्लोबल इन्फ्रास्ट्रक्चर परिसर के इन्फ्रास्ट्रक्चर के मुकाबले 4.1 गुना ज्यादा प्रभावशाली होता है। भारतीय संगठन अपने एआई वर्कलोड को अपने परिसर में मौजूद डेटा सेंटर्स के मुकाबले एडब्लूएस पर स्थानांतरित करके उससे उत्पन्न होने वाले कार्बन में 99 प्रतिशत तक की कमी ला सकते हैं।

अध्ययन में सामने आया है कि भारत में भारी कंप्यूटिंग या एआई वर्कलोड के लिए एडब्लूएस डेटा सेंटर्स के उपयोग से ऑन-परिसर डेटा सेंटर्स की तुलना में कार्बन उत्सर्जन 98 प्रतिशत तक कम हो जाता है। यह एडब्लूएस में ज्यादा प्रभावशाली हार्डवेयर (32 प्रतिशत) के उपयोग, पॉवर एवं कूलिंग एफिशियंसी में सुधार (35 प्रतिशत), और अतिरिक्त कार्बन-फ्री एनर्जी प्रोक्योरमेंट (31 प्रतिशत) के कारण संभव होता है। साथ ही पर्पज़-बिल्ट सिलिकॉन का उपयोग करके एडब्लूएस पर वर्कलोड को ट्रांसफर करने से भारतीय संस्थानों के लिए एआई वर्कलोड में कार्बन कम करने की क्षमता 99 प्रतिशत तक बढ़ जाती है क्योंकि यह एडब्लूएस पर ऑप्टिमाईज़ हो जाता है।

एडब्ल्यूएस ग्लोबल के एनवायरनमेंट सोशल गवर्नेंस (ईएसजी) एवं एक्सटर्नल इंगेज़मेंट प्रमुख जेना लीनर ने कहा “ संगठनों द्वारा विश्व में आईटी पर होने वाला 85 प्रतिशत खर्च उनके परिसर में होता है, इसलिए एआई वर्कलोड को एडब्लूएस पर ट्रांसफर करके कार्बन उत्सर्जन में 99 प्रतिशत की कमी भारतीय संगठनों के लिए सस्टेनेबिलिटी का ज्यादा व्यवहारिक विकल्प है। भारत तेजी से एक लाख करोड डॉलर का डिजिटल लक्ष्य पूरा करने की ओर बढ़ रहा है। 2070 तक नेट जीरो उत्सर्जन का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए यहाँ डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर, सस्टेनेबिलिटी इनोवेशन एवं आईटी से होने वाले कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के लिए निवेश को प्रोत्साहित करना आवश्यक होगा। एआई के बढ़ते उपयोग को देखते हुए यह और भी ज्यादा आवश्यक हो गया है। एडब्लूएस निरंतर हमारे डेटा सेंटर्स में सस्टेनेबिलिटी लाने के लिए इनोवेट कर रहा है और हमारे डेटा सेंटर के डिज़ाईन को ऑप्टिमाईज़ कर रहा है, पर्पज़-बिल्ट चिप्स में निवंश कर रहा है तथा नई कूलिंग टेक्नोलॉजी के साथ इनोवेट कर रहा है, ताकि हम ग्राहकों की कंप्यूटिंग की जरूरतों को पूरा करने के लिए निरंतर एनर्जी एफिशियंसी बढ़ा सकें।”

एक्सेंचर में ग्लोबल लीड, टेक्नोलॉजी सस्टेनेबिलिटी इनोवेशन, संजय पोद्दार ने कहा, “यह अनुसंधान हार्डवेयर और कूलिंग एफिशियंसी, कार्बन-फ्री एनर्जी, पर्पज़-बिल्ट सिलिकॉन और ऑप्टिमाईज़्ड स्टोरेज पर एडब्लूएस का फोकस प्रदर्शित करता है, ताकि संस्थानों को एआई एवं मशीन लर्निंग वर्कलोड का कार्बन फुटप्रिंट कम करने में मदद मिल सके।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जहाँ एआई की मांग लगातार बढ़ रही है, वहीं टेक्नोलॉजी की मदद से व्यवसाय इनोवेशन लाते हुए सस्टेनेबिलिटी प्राप्त कर अपने पर्यावरण के लक्ष्य हासिल कर सकते हैं।”

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