प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में त्वरित न्याय का आह्वान किया और कहा कि महिला अत्याचार समाज के लिए गंभीर चिंता का विषय है।
श्री मोदी ने आज यहां भारत मंडपम में उच्चतम न्यायालय की ओर से आयोजित जिला न्यायपालिका के दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, “देश में कई कानून हैं जो महिलाओं की सुरक्षा के मुद्दे को संबोधित करते हैं। वर्ष 2019 में फास्ट-ट्रैक विशेष अदालतों के लिए कानून पारित किया गया था, जिसके तहत गवाह बयान केंद्र बनाये गये थे। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इन केंद्रों को और मजबूत किया जाये ताकि महिलाओं की सुरक्षा से जुड़े मामलों में तेजी से फैसले सुनाए जा सकें।”
उन्होंने कहा कि न्याय में विलंब को खत्म करने के लिए पिछले एक दशक में कई स्तरों पर काम किया गया है। पिछले 25 वर्षों में न्यायिक बुनियादी ढांचे पर खर्च की गई राशि का 75 प्रतिशत करीब 8000 करोड़ रूपये गत 10 वर्षों में ही खर्च किया गया है। उन्होंने कहा कि भारत की जनता ने न्यायपालिका पर कभी अविश्वास नहीं किया तथा लोकतंत्र की जननी के रूप में शीर्ष न्यायालय के 75 साल देश के गौरव को और बढ़ाते हैं।
लोकतंत्र में न्यायपालिका की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि न्यायपालिका को संविधान का रक्षक माना जाता है और यह अपने आप में एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा, “हम संतोष के साथ कह सकते हैं कि शीर्ष न्यायालय ने इस जिम्मेदारी को निभाने का बेहतरीन प्रयास किया है।”
इस मौके पर श्री मोदी ने भारत के उच्चतम न्यायालय की स्थापना के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में डाक टिकट और सिक्के का अनावरण भी किया। कार्यक्रम में देश भर के जिला न्यायपालिका के प्रतिभागियों ने भाग लिया।
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