पद्मश्री से सम्मानित हुए अशोक सराफ, 4 दशकों से सिनेमा में छाए हुए हैं

भारतीय सिनेमा में कई कलाकारों ने अपने अभिनय से दर्शकों के दिलों में अपनी खास जगह बनाई है, और उन्हीं में से एक नाम है अशोक सराफ। 4 दशकों से भी ज्यादा समय से मराठी सिनेमा और बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री का हिस्सा रहे अशोक सराफ ने अपने अभिनय से दर्शकों को मनोरंजन के साथ-साथ भावनात्मक रूप से भी जोड़ा है। अब, अशोक सराफ को उनके सराहनीय कार्य के लिए पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है, जिससे फिल्म इंडस्ट्री में उनके योगदान को और मान्यता मिली है। इस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी रिएक्शन सामने आया है।

अशोक सराफ का पद्मश्री मिलने पर रिएक्शन

अशोक सराफ ने पद्मश्री पुरस्कार मिलने पर खुशी जाहिर करते हुए कहा, “महाराष्ट्र भूषण के बाद दूसरा पद्मश्री पुरस्कार मिल रहा है, मैं बहुत खुश हूं। पद्मश्री भारत का एक बड़ा सम्मान है और यह भारत सरकार द्वारा दिया जाने वाला पुरस्कार है। मुझे कभी नहीं सोचा था कि मुझे इतना बड़ा सम्मान मिलेगा।” उन्होंने यह भी कहा कि उनकी शुरुआत रंगमंच से हुई थी और अब पद्मश्री पुरस्कार प्राप्त करना उनके लिए एक बड़ा मील का पत्थर है।

पद्मश्री का महत्व

अशोक सराफ ने पद्मश्री पुरस्कार के महत्व पर बात करते हुए कहा, “पद्मश्री का महत्व इतना बड़ा है कि जो हम काम करते हैं, उस पर सरकारी मोहर लग जाती है। हमने इतने सालों तक कड़ी मेहनत की और अब उस पर भारत सरकार की मोहर लग गई है, इसके लिए मैं सरकार का आभारी हूं।”

उन्होंने यह भी कहा कि, “मैं अब भी अपने रोल्स के बारे में अलग तरीके से सोचता हूं। अगर ऐसा रोल आएगा, तो ही करूंगा।” इसके साथ ही अशोक सराफ ने यह भी बताया कि उनकी सफलता के पीछे उनकी पत्नी का बहुत बड़ा हाथ है, जो खुद एक कलाकार हैं।

अशोक सराफ की फिल्में और करियर

अशोक सराफ ने अपने करियर में कई बड़ी फिल्में की हैं, जिनमें दामाद, फुलवारी, मुद्दत, शिव शक्ति, घर घर की कहानी, आ गले लग जा, करण अर्जुन, गुड्डू, कोएला, येस बॉस, खूबसूरत, बंधन, जोरू का गुलाम, इत्तेफाक, इंतेकाम, सिंघम और वेद जैसी फिल्में शामिल हैं। बॉलीवुड फिल्मों में उन्होंने अपनी वर्सेटाइल साइड रोल्स से दर्शकों को खूब इंप्रेस किया। हालांकि अब वे कम फिल्में करते हैं, लेकिन उनकी उम्र 77 साल की है और वे मराठी थिएटर के भी बड़े नाम माने जाते हैं।

निष्कर्ष

अशोक सराफ का पद्मश्री पुरस्कार प्राप्त करना भारतीय सिनेमा और थिएटर जगत के लिए एक बड़ा सम्मान है। उनकी कला और मेहनत ने उन्हें दर्शकों के दिलों में एक खास स्थान दिलाया है, और उनका यह सम्मान उन सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है जो अपनी मेहनत और संघर्ष से सफलता की ऊंचाइयों को छूना चाहते हैं।

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