दिल्ली में केजरीवाल की हार के बाद समाजसेवी अन्ना हजारे का पहला बयान सामने आया है, जिसमें उन्होंने केजरीवाल की नीतियों पर कड़ा प्रहार किया है।
अन्ना हजारे ने साफ कहा, “केजरीवाल की छवि शराब की दुकानें बढ़ाने के कारण खराब हुई। मैंने पहले भी कहा था कि राजनीति में आकर आदर्शों से समझौता करना पड़ता है। मैं कभी पार्टी बनाने के पक्ष में नहीं था, लेकिन केजरीवाल ने मेरी बात नहीं मानी।”
अन्ना हजारे ने यह भी कहा कि जब उन्होंने और उनके समर्थकों ने जनलोकपाल आंदोलन शुरू किया था, तब मकसद सिर्फ भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ना था, न कि राजनीतिक दल बनाना। लेकिन केजरीवाल ने राजनीति में जाने का फैसला किया, जिससे आंदोलन की मूल भावना कमजोर हो गई।
अन्ना ने दिल्ली सरकार की शराब नीति की आलोचना करते हुए कहा कि “एक समय जो पार्टी स्वच्छ राजनीति और आदर्शों की बात करती थी, वही अब शराब नीति और घोटालों में फंस गई है। इससे जनता का भरोसा टूटा है और उनकी छवि पूरी तरह धूमिल हो गई है।”