कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है। इस बीच, पाकिस्तान को अब एक और बड़ा डर सता रहा है — IMF (अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष) की अहम बैठक, जो उसकी आर्थिक किस्मत का फैसला करेगी।
9 मई को होगी IMF की निर्णायक बैठक
IMF की एग्जीक्यूटिव बोर्ड की मीटिंग 9 मई को होने जा रही है, जिसमें पाकिस्तान के 7 अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज पर पहला रिव्यू किया जाएगा। अगर यह रिव्यू पास हो गया, तो पाकिस्तान को 1 अरब डॉलर की अगली किश्त मिल सकती है। इसके साथ ही IMF से पाकिस्तान ने 1.3 अरब डॉलर के एक और कर्ज की डील की है, जो जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए Resilience and Sustainability Facility (RSF) के तहत दी जानी है।
क्यों डर में है पाकिस्तान?
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था इस वक्त ICU में है। महंगाई चरम पर है, विदेशी मुद्रा भंडार गिर चुका है और निवेशकों का भरोसा कमजोर हुआ है। IMF का बेलआउट पैकेज पाकिस्तान के लिए किसी जीवनदायिनी औषधि से कम नहीं है।
हालांकि मार्च में IMF की टीम ने पाकिस्तान का दौरा कर यह कहा था कि आर्थिक सुधारों की दिशा में कुछ कदम उठाए गए हैं— जैसे महंगाई को रोकने के लिए ब्याज दरें बढ़ाना और ऊर्जा क्षेत्र में सुधार करना। लेकिन IMF की शर्तें बेहद सख्त होती हैं। अगर उन्हें किसी भी स्तर पर गड़बड़ी नजर आई, तो फंड पर रोक भी लग सकती है।
जलवायु कर्ज पर भी सस्पेंस बरकरार
IMF से लिया जाने वाला नया 1.3 अरब डॉलर का जलवायु कर्ज अभी तकनीकी प्रक्रिया में है। वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब ने कुछ हफ्ते पहले वॉशिंगटन में बयान दिया था कि मीटिंग से पहले हरी झंडी मिल सकती है, लेकिन जब तक IMF की आधिकारिक स्वीकृति नहीं मिलती, पाकिस्तान की बेबसी और बेचैनी बनी रहेगी।
भारत से बढ़ते तनाव के बीच आर्थिक इम्तिहान
भारत-पाक के मौजूदा तनाव के बीच यह मीटिंग पाकिस्तान के लिए एक और बड़ी परीक्षा बनकर सामने आई है। आर्थिक संकट और बाहरी दबावों के बीच पाकिस्तान की सरकार की असली कूटनीतिक और वित्तीय परीक्षा अब 9 मई को होने जा रही है।
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